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Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 35
स्वर्गापवर्ग-गम-मार्ग-विमार्गणेष्ट:,
सद्धर्म- तत्त्व-कथनैक-पटुस्-त्रिलोक्या:।

दिव्य-ध्वनि-र्भवति ते विशदार्थ-सर्व-
भाषास्वभाव-परिणाम-गुणै: प्रयोज्य:॥ 35॥
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