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Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 30
कुन्दावदात-चल-चामर-चारु-शोभं,
विभ्राजते तव वपु: कलधौत -कान्तम्।

उद्यच्छशाङ्क- शुचिनिर्झर-वारि -धार-
मुच्चैस्तटं सुरगिरेरिव शातकौम्भम् ॥ 30॥
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