Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
Unknown


Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 23
त्वामामनन्ति मुनय: परमं पुमांस-
मादित्य-वर्ण-ममलं तमस: पुरस्तात्।

त्वामेव सम्य-गुपलभ्य जयन्ति मृत्युं,
नान्य: शिव: शिवपदस्य मुनीन्द्र! पन्था:॥ 23॥
×
×
  • Create New...