श्लोक
द्वादाशंक वाणी नमो, षट कायक सुखकार ।
जा प्रसाद शिव मग दीपे, पंचम काल मजार ।।
म्हारी माँ जिनवाणी थारी तो जय जयकार २
चरणा मा राखी लीजो, भव सागर तारी दीज्यो ।
कर दीज्यो इतणों उपकार, थारी तो जय जयकार ।।
हो म्हारी माँ ०
कुंद कुंद सा थार बेटा, दुखड़ा सब जग का मेटा ।
राच्यो समय को सार, थारी तो जय जयकार ।।
हो म्हारी माँ ०
शरणा जो तेरी आये, भवसागर से तिर जाये ।
तू ही हैं तारन हार, थारी तो जय जयकार ।।
हो म्हारी माँ ०
गणधर किन्नर गुण गाते, मुनिवर भी ध्यान लगाते ।
गाते सब तेरा गुणगान, थारी तो जय जयकार ।।
हो म्हारी माँ ०
जिसने भी तुझको ध्याया, आतम का सुख हैं पाया ।
आतम की महिमा अपार, थारी तो जय जयकार ।।
हो म्हारी माँ ०