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तुझे प्रभु वीर कहते हैं


admin

तुझे प्रभु वीर कहते हैं

तर्जये मेरा प्रेमपत्र...

तुझे प्रभु वीर कहते हैंऔर अतिवीर कहते हैं।

अनेकों नाम तेरे परअधिक महावीर कहते हैं ॥

 

अनंतो गुणों का तू धारीतेरा यशगान हम गायें,

हे युग के नाथ निर्मातातुझे नत शीश नवायें,

दया होवे प्रभू ऐसीकि हम सब भव से पार हों,

भव से पार होंभव से पार हों ॥ तुझे प्रभु वीर …॥

 

युगों से जीव यह मेरादेह का योग है पाता,

मोह के जाल में फ़ंसकरआत्म निज और नहीं जाता,

पिला अध्यात्म रस स्वामीज्ञान की क्षुधा धार हो,

क्षुधा धार होक्षुधा धार हो ॥ तुझे प्रभु वीर …॥

 

सत्य श्रद्धान हो मेरेकि सम्यक ज्ञान हो मेरे,

यही विनती मेरे स्वामीरहूं चरणों में नित तेरे,

कभी फ़िर मोक्ष मिल जाएकि वृद्धि सुख अपार हो,

सुख अपार होसुख अपार हो ॥ तुझे प्रभु वीर …॥

 

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