तेरी शीतल-शीतल मूरत
तर्ज: तेरी प्यारी प्यारी सूरत को...
तेरी शीतल-शीतल मूरत लख
कहीं भी नजर ना जमें, प्रभू शीतल
सूरत को निहारें पल पल तब
छबि दूजी नजर ना जमें! प्रभू शीतल ॥
भव दु:ख दाह सही है घोर
कर्म बली पर चला न जोर
तुम मुख चन्द्र निहार मिली अब
परम शान्ति सुख शीतल ढोर
निज पर का ज्ञान जगे घट में भव बंधन भीड़ थमें ॥ प्रभू..
सकल ज्ञेय के ज्ञायक हो, एक तुम्ही जग नायक हो
वीतराग सर्वज्ञ प्रभू तुम, निज स्वरूप शिवदायक हो
`सौभाग्य' सफल हो नर जीवन, गति पंचम धाम धमे ॥ प्रभू ..