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पद्मसद्म पद्मापद पद्मा


admin

पद्मसद्म पद्मापद पद्मा

पद्मसद्म पद्मापद पद्मामुक्तिसद्म दरशावन है ।

 

कलि-मल-गंजन मन अलि रंजन,

मुनिजन शरन सुपावन है ।।

 

जाकी जन्मपुरी कुशंबिकासुर नर-नाग रमावन है,

जास जन्मदिनपूरब षटनवमास रतन बरसावन है ॥

 

जा तपथान पपोसागिरि सोआत्म-ज्ञान थिर थावन है,

केवलजोत उदोत भई सोमिथ्यातिमिर-नशावन है ॥

 

जाको शासन पंचाननसोकुमति मतंग नशावन है,

राग बिना सेवक जन तारक,पै तसु रुषतुष भाव न है ॥

 

जाकी महिमा के वरननसोंसुरगुरु बुद्धि थकावन है,

'दौलअल्पमति को कहबो जिमिशशक गिरिंद धकावन है ॥

 



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