Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

निरखत जिनचन्द्र-वदन


admin

निरखत जिनचन्द्र-वदन

निरखत जिनचन्द्र-वदनस्वपदसुरुचि आई ।।टेक।।

 

प्रगटी निज आनकीपिछान ज्ञान भानकी ।

कला उदोत होत कामजामिनी पलाई ।।१ ।।

 

शाश्वत आनन्द स्वादपायो विनस्यो विषाद ।

आनमें अनिष्ट इष्टकल्पना नसाई ।।२ ।।

 

साधी निज साधकीसमाधि मोह व्याधिकी ।

उपाधिको विराधिकैंआराधना सुहाई ।।३ ।।

 

धन दिन छिन आज सुगुनिचिंतें जिनराज अबै ।

सुधरे सब काज `दौल', अचल ऋद्धि पाई ।।४ ।।

 



×
×
  • Create New...