जयति जय जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहुबली ।
जयति जय भरताधिपति, विजयी अनुपम भुजबली ।
श्री आदिनाथ युगादिब्रह्मा त्रिजगपति विख्यात हैं ।
गुणमणि विभूषित आदिनाथ के भारत और बाहुबली ॥
जयति जय ००
वृषभेश जब तप वन चले तब न्याय नीति कर गए ।
साकेतनगरीपति भरत, पोदनपुरी बाहुबली ॥
जयति जय००
षटखंड जीता भरत मन की नहीं आशा बुझी ।
निज चक्ररत्न चला दिया फिर भी विजयी बाहुबली ॥
जयति जय००
सब आखिर राज्य विभव तजा, कैलाश पर जा बसे ।
इक वर्ष का ले योग तब, निश्चल हुए बाहुबली ॥
जयति जय००
तन से प्रभु निर्मम हुए वन जंतु क्रीडा कर रहे ।
सिद्धि रमा वरने चले प्रभु वीर बन बाहुबलि॥
जयति जय००
प्रभु बाहुबली की नग्न मुद्रा सीख यह सिखला रही ।
सब त्याग करके माधुरी तुम भी बनो बाहुबली ॥
जयति जय००