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आज 18 सितम्बर की पहेली


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देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी ।

गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥

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देव गति और नरक गति में प्रथम से चतुर्थ गुणस्थान होते है । तिर्यंच गति में प्रथम से पंचम गुणस्थान होते है । मनुष्य गति में प्रथम से चौदहवें गुणस्थान तक होते है ।

 

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8 hours ago, admin said:

देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी ।

गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥

1 समवेग 2 निवेग 3 स्वनिंदा 4 गहा 5 उपशम 6 जिन भक्ति 7 वात्सल्य 8 अनुकम्पा 

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देव के गुण स्थान चार

मनुष्य के  गुणस्थान चौदह

तिर्यच्च के गुणस्थान एक

नाराकी के गुणस्थान चार

 बोबी जैन रेवाड़ी हरियाणा

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गुणस्थान चौदह होते हैं जो निम्न हैं—

०१) मिथ्यादृष्टि,
०२) सासादन सम्यग्दृष्टि,
०३) सम्यग्मिथ्यादृष्टि या मिश्र,
०४) असंयत या अविरत सम्यग्दृष्टि,
०५) संयतासंयत या देशविरत,
०६) प्रमत्तसंयत या प्रमत्तविरत,
०७) अप्रमतसंयत,
०८) अपूर्वकरण या अपूर्वकरण-प्रविष्टशुद्धिसंयत,
०९) अनिवृत्तिकरण या अनिवृत्तिकरणबादरसांपराय-प्रविष्टशुद्धिसंयत,
१०) सूक्ष्मसांपराय या सूक्ष्म सांपराय प्रविष्ट शुद्धि संयत,
११) उपशांतकषाय या उपशांतकषाय वीतराग छद्मस्थ,
१२) क्षीणकषाय या क्षीणकषाय वीतराग छद्मस्थ,
१३) सयोगकेवली
और
१४) अयोगकेवली 


नरक गति में १ से ४ गुणस्थान,
तिर्यञ्चगति में १ से ५ गुणस्थान,
देवगति में १ से ४ गुणस्थान,
एवं
मनुष्य गति में १ से १४ गुणस्थान ।

 

मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि इन चार गुणस्थानों में नारकी होते हैं।

मिथ्यादृष्टि, सासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि, असंयत सम्यग्दृष्टि और संयतासंयत इन पाँच गुणस्थानों में तिर्यंच होते हैं।

मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि इन चार गुणस्थानों में देव पाये जाते हैं।
 

मिथ्यादृष्टि, सासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि या मिश्र, असंयत या अविरत सम्यग्दृष्टि, संयतासंयत या देशविरत, प्रमत्तसंयत या प्रमत्तविरत, अप्रमतसंयत, अपूर्वकरण या अपूर्वकरण-प्रविष्टशुद्धिसंयत, अनिवृत्तिकरण या अनिवृत्तिकरणबादरसांपराय-प्रविष्टशुद्धिसंयत, सूक्ष्मसांपराय या सूक्ष्म सांपराय प्रविष्ट शुद्धि संयत, उपशांतकषाय या उपशांतकषाय वीतराग छद्मस्थ, क्षीणकषाय या क्षीणकषाय वीतराग छद्मस्थ, सयोगकेवली और अयोगकेवली इन चौदह गुणस्थानों में मनुज पाये जाते हैं।

 

 

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13 hours ago, admin said:

देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी ।

गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥

देव गति मे - 4

मनुष्यगति मे - 14

तिर्यंच गति  में  - 5

नरकगति मे  - 4

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13 hours ago, admin said:

देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी ।

गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥

 

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14 hours ago, admin said:

देव मनुज तिर्यञ्च नारकी, सम्यक् दृष्टि मात्र पारखी ।

गुणस्थान हैं किसमें कितने, जिनवाणी को धारो चित में ॥

देव और नरकगति मे चार गुणस्थान तिर्यंचगति में पाच   और मनुष्य गति में चौदह गुणस्थान होतेहैं

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देव गति और नरक गति में प्रथम से चतुर्थ गुणस्थान होते है । तिर्यंच गति में प्रथम से पंचम गुणस्थान होते है । मनुष्य गति में प्रथम से चौदहवें गुणस्थान तक होते है ।

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