अजित कुमार के जैन Posted July 23, 2019 Share Posted July 23, 2019 मोहनीय कर्म की शेष 21 प्रकृतियां कौन कौन सी हैं? Link to comment Share on other sites More sharing options...
Bimla jain Posted July 23, 2019 Share Posted July 23, 2019 (edited) मोहनीय कर्म की कुल २८ प्रकृतियाँ होती हैं जिसमें से तीन दर्शन मोहनीय की(मिथ्यात्व,सम्यक् मिथ्यात्व तथा सम्यक् प्रकृति) एवं ४ चारित्र मोहनीय(अनन्तानुबंधी क्रोध, मान ,माया और लोभ) इन ७ प्रकृतियाँ के उपशम,क्षायोपशम अथवा क्षय से क्रमश: औपशमिक,क्षायोपशमिक और क्षायिक सम्यक् दर्शन की उत्पत्ति होती है। शेष २१ प्रकृतियाँ निम्न हैं प्रत्याख्यानावरणीय क्रोध,मान,माया,लोभ ४ प्रकृतियाँ अप्रत्याख्यावरणीय क्रोध मान माया लोभ ४ प्रकृतियाँ संज्वलन क्रोध मान माया लोभ ४ प्रकृतियाँ नोकषाय हास्य, रति,अरति जुगुत्सा ,शोक भय स्त्री वेद,पुरुष वेद और नपुंसक वेद ९ प्रकार इस प्रकार कुल शेष २१ प्रकृतियाँ हैं। Edited July 23, 2019 by Pramod jain1954 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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