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श्री दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र, ज्ञानोदय नगर, नारेली, अजमेर (राजस्थान )


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दर्शनीय क्षेत्र नारेली राजस्थान

नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र, ज्ञानोदय नगर, किशनगढ़, ब्यावर बाईपास रोड़, ग्राम - नारेली, तह. एवं जिला - अजमेर (राजस्थान ), पिन - 305024

टेलीफोन - 0145 - 2671010 -11 - 12, फैक्स : 2671011, 09784206110, www.shreegyanodayateerth.com,

email : gyanodayatirth@rediffmail.com

 

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 24, कमरे (बिना बाथरूम) - 40, हाल - 04 (यात्री क्षमता - 100),

यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 400, वातानुकूलित कमरे -30 अन्य : गौशाला (700 पशु), संतशाला, वान प्रस्थ आश्रम, वातानुकूलित धर्मशाला एवं सुविधायुक्त कार्यालय भवन, बगीचा, शॉपिंग सेंटर

भोजनशाला - है, नियमित, सशुल्क

औषधालय - निर्माणाधीन

पुस्तकालय - लगभग-10,000 पुस्तकें

विद्यालय - निर्माणाधीन

एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है।

 

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन - अजमेर - 9 कि.मी.

बस स्टेण्ड - अजमेर - 10 कि.मी., मिनी बस, सिटी बस, ऑटो रिक्शा, टेम्पो उपलब्ध

पहुँचने का सरलतम मार्ग - सोनी नसिया पर प्रातः 7.30 बजे क्षेत्र की मिनी बस एवं अरमाड़ा  जीप उपलब्ध है।

निकटतम प्रमुख नगर - अजमेर -10 कि.मी., किशनगढ़ -25 कि.मी., नसीराबाद -25 कि.मी., पुष्कर -25कि. मी.

 

प्रबन्ध व्यवस्था

संस्था - दिगम्बर जैन समिति (रजि.), अजमेर

अध्यक्ष - श्री निहालचंद पहाड़िया (09829070788)

महामंत्री - श्री अतुलकुमार ढिलवारी (09829070625)

कोषाध्यक्ष - श्री प्रफुल्लचन्द गदिया (094138 27111)

प्रभारी - ब्र. सुकान्त भैय्या (097842 06110)

 

क्षेत्र का महत्व

क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 30

क्षेत्र पर पहाड़ : है, 2.5 कि.मी. की उंचाई पर 1008 सीढ़ियाँ है।

ऐतिहासिकता : पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनिपुंगव श्री सुधासागरजी महाराज, की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद व सानिध्य में 30 जून, 1995 को 327 बीघा के एक विशाल भूखण्ड में श्री दि. जैन ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र की स्थापना हुई। यह 'ज्ञानोदय' तीर्थ महाकवि आचार्य 108 श्री ज्ञानसागरजी महाराज के नाम पर रखा गया। वर्ष 1997 में प्रथम वर्षायोग में 39 प्रकार के कार्यक्रमों का शिलान्यास हुआ जिसमें नाभिस्थल (शंकु), 24000 किलोग्राम की अष्टधातु की 3 अलौकिक, अनुपम,विशाल, उत्तुंग खड्गासन प्रतिमाएँ, मंदिर निर्माण के पूर्व मूल स्थान पर विराजमान कर दी गयी। एतदर्थ नन्दीश्वर द्वीप के 52 जिनालय भी स्थापित किये गये। सहस्त्रकूट जिनालय, त्रिकाल चौबीसी जिनालय (ध्यान केन्द्र), शीतलनाथ जिनालय का निर्माण हो चुका है। तलहटी स्थित भव्य अलौकिक आदिनाथ जिनालय के पुण्यार्जक मेसर्स आर.के. मार्बल्स लि., किशनगढ़ पाटनी परिवार है।

वार्षिक मेला : प्रति वर्ष आश्विन माह में पदयात्रा एवं कलशाभिषेक

समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : सोनीजी की नसिया एवं 32 जिनालय अजमेर - 10 कि.मी., पुष्करजी में 2 जैन मंदिर - 25 कि.मी. मोराझडी मंदिर-35 कि.मी., नसीराबाद - आ.ज्ञानसागर जी समाधिस्थल - 25 कि.मी., मोजमाबाद-80 कि.मी., सांगानेर-120 कि.मी.

आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|

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