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श्री दिगम्बर जैन देवपुरी अतिशय क्षेत्र ट्रस्ट, साबरकांठा (गुजरात)


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देरोल-वाघेला अतिशय क्षेत्र

नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन देवपुरी अतिशय क्षेत्र ट्रस्ट, देरोल-वाघेला ग्राम-देरोल-वाघेला, तह.- खेड्ब्रह्मा, जि.- साबरकांठा (गुजरात)

पिन - 383275

टेलीफ़ोन - 02775 - 241136, 098258 83281

क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ

आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 28 कमरे (बिना बाथरूम) - 10 हाल - 1 (यात्री क्षमता - 70), ए.सी.कमरे - 20

यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 500.

भोजनशाला - है, नियमित - सशुल्क

विद्यालय - नहीं

औषधालय - है।

पुस्तकालय -है।

वागमन के सा

रेल्वे स्टेशन - खेड़ब्रह्मा -7 कि.मी., (रेल द्वारा अहमदाबाद से खेड्ब्रह्मा)

बस स्टेण्ड - देरोल - वाघेला में बस आती है।

पहुँचने का सरलतम मार्ग - खेड़ब्रह्मा-अहमदाबाद, ईडर-हिम्मतनगर मुख्य मार्ग है, बस एवं टेक्सी खेड़ब्रह्मा से उपलब्ध है।

निकटतम प्रमुख नगर - खेड़ब्रह्मा - 7 कि.मी.

प्रबन्ध व्यवस्था

संस्था - श्री दिगम्बर जैन देवपुरी अतिशय क्षेत्र ट्रस्ट, देरोल-वाघेला ।

अध्यक्ष - श्री मेहता नलिनकुमार वाडीलाल (079-25732557 (का.), (नि.) 27493197), (098250 15965)

मंत्री - श्री सुनीलकुमार वाडीलाल मेहता (०98250 68055)

मैनेजर - श्री दीपकभाई रावजी भाई मेसाणीया (098258 83281)

क्षेत्र का महत्व

क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 03

क्षेत्र पर पहाड़ - नहीं

ऐतिहासिकता - खेड़ब्रह्मा तहसील से पूर्व दिशा में 6 कि.मी. की दूरी पर 'देरोल' ग्राम है, जो पूर्व में 'देवनगरी' या 'देवपुरी' के नाम से विख्यात रहा है। इसे अब 'देरोल' के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में तीन जिनालय हैं। इनमें से एक श्वेताम्बर बन्धुओं के प्रबन्ध में है। शेष 2 की व्यवस्था दिगम्बर समाज करती है। चौथी शताब्दी की प्राचीन, कलात्मक भगवान श्री 1008 आदिनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा मंदिर क्रमांक एक में है एवं दूसरे जिनालय में भगवान श्री 1008 पाश्र्वनाथ की अतिशयकारी मनोकामनापूर्ण करने वाली चमत्कारी प्रतिमा है। इन दोनों मन्दिरों में सभी प्रतिमायें दिगम्बर आम्नाय की हैं। मंदिर बावन जिनालय कोठरिया पर संवत् 1115 से 1135 लिखा है। स्थानीय लोग इसे 'लाखेणाना' मंदिर के नाम से जानते हैं।

विशेष - भगवान पार्श्वनाथ से मन्नत मांगने पर एवं पूर्ण होने पर गुड़, नारियल एवं शक्कर का प्रसाद रखने पर वहां के लोगों को बाँट दिया जाता है।

वार्षिक मेले - हर पूर्णिमा पर मेला लगने पर 2000 से अधिक लोग आते हैं एवं वर्ष में ज्येष्ठ सुदी 10वीं को बड़ा मेला लगता है।

समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र

तारंगाजी - 65 कि.मी., चितामणि - पार्श्वनाथ - 55 कि.मी., ईडर - 30 कि.मी., भिलोड़ा -60 कि.मी. 29

आपका सहयोग :

जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| 

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