admin Posted December 13, 2018 Share Posted December 13, 2018 दर्शनीय क्षेत्र ग्वालियर-स्वर्ण मंदिर मध्य प्रदेश नाम एवं पता - श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथी पंचायती, बड़ा मंदिर (पुरानी सहेली), गस्त का ताजिया, डीडवाना ओली, लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) पिन-474001 टेलीफोन - 0751 - 2433727 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - X कमरे (बिना बाथरूम) - 6 हाल - 1 (यात्री क्षमता - 25), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 50 भोजनशाला - मंदिर के सामने - नियमित एवं सशुल्क है। औषधालय - नहीं पुस्तकालय - है विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - ग्वालियर - मंदिर से 4 कि.मी. बस स्टेण्ड - ग्वालियर - मंदिर से 4 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - दिल्ली-मुम्बई, दिल्ली-चेन्नई, मुख्य रेल मार्ग पर ग्वालियर निकटतम प्रमुख नगर मंदिर ग्वालियर शहर में ही हैं। प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथी, पंचायती बड़ा मंदिर, पुरानी सहेली, प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष - श्री अनिलकुमार शाह (0751 - 2420179) मंत्री - श्री संजयकुमार भौंच (0751 - 2431016) प्रबन्धक - श्री देवेन्द्र क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : स्वर्ण मंदिर के निर्माण में तत्कालीन श्रेष्ठियों ने 2 मन (80 किलो) सोने का उपयोग स्वर्ण चित्रकारी हेतु किया था। जो इस मन्दिर का वैशिष्ट्य है। ग्वालियर के इर्द-गिर्द 7 वीं - 8 वीं शताब्दी से 14 वीं-15 वीं शताब्दी तक प्राचीन जिनालयों के दर्शन होते हैं। रियासतों के काल से श्री 1008 पार्श्वनाथ दि. जैन बड़ा मंदिर अपनी गौरवशाली संस्कृति समेटे हुए हैं एवं तेरापंथी पंचायती मंदिर पुरानी सहेली के नाम से विख्यात है। इसका निर्माण भादों सुदी 2 संवत् 1761 में हुआ। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा संवत् 1212 की प्रतिष्ठित है। इस मंदिर में 163 मूर्तियाँ है जो - चांदी,मुंगा, स्फटिक मणि, प्लेट, पाषाण, कसौटी, संगमरमर तथा श्यामश्वेत पाषाण की हैं। एक इंच से 5-6'' अवगाहना की खड़गासन तथा पद्मासन प्रतिमाएं एवं त्रिकालचौबीसी विराजमान हैं। एक प्रतिमा भगवान पाश्र्वनाथ की श्यामवर्ण की फणयुक्त है। कुल6वेदियाँ है एवं कलापूर्ण समवशरण, जिसमें स्वर्ण चित्रकारी का काम सोने की कलम से बारीकी से किया गया है एवं कई अन्य दर्शनीय स्थल है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - श्री गोपाचल सिद्धक्षेत्र-3 कि.मी., सोनागिर-65 कि.मी., 15 वीं एवं 16 वीं शताब्दी का ग्वालियर का दुर्ग है -5 कि.मी., श्री सिंहोनिया सिद्ध क्षेत्र-60 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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