Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World

श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, बावनगजा (चूलगिरि), बड़वानी (मध्यप्रदेश


Recommended Posts

सिद्ध क्षेत्र बावनगजा (चूलगिरि) मध्यप्रदेश

नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, बावनगजा (चूलगिरि) ग्राम - बावनगजा, तहसील एवं जिला - बड़वानी (मध्यप्रदेश) पिन - 451 551 टेलीफोन - 07290 - 291010, मो.: 81031 91289 (आवास-जितेन्द्र जैन)

 

क्षेत्र पर उपलब्ध

आवास - कमरे (अटैच बाथरूम एवं ए.सी.) - 45, कमरे (बिना बाथरूम) - X सुविधाएँ हाल - 4 (यात्री क्षमता - 50), गेस्ट हाऊस - 6

यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 400.
भोजनशाला - सशुल्क, नियमित

संत निवास - 24 कमरे

औषधालय - है (बाह्य उपचार केंद्र)

पुस्तकालय - है।

विद्यालय - है।

 

आवागमन के साधन

रेल्वे स्टेशन - इन्दौर - 160 कि.मी., महू - 138 कि.मी., खण्डवा - 180 कि.मी., दाहोद - 170 कि.मी.

बस स्टेण्ड - बड़वानी - 8 कि.मी.

पहुँचने का सरलतम मार्ग -  इन्दौर, खंडवा, दाहोद, बड़ौदा से बड़वानी के लिये बस सुविधा है। बड़वानी से बावनगजा नियमित बस सेवा है। निकटतम प्रमुख नगर - बड़वानी - 8 कि.मी.

 

प्रबन्ध व्यवस्था

संस्था - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र चूलगिरि ट्रस्ट बावनगजा

अध्यक्ष - श्री राजकुमार जैन (099937-37000)

मंत्री - श्री राज प्रकाश पहाड़िया (094259-14345)

प्रबन्धक - श्री इन्द्रजीत मंडलोई, (094250-90384, 09977771022)

 

क्षेत्र का महत्व

क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 33

क्षेत्र पर पहाड़ : है- कुल 800 सीढ़ियाँ, डोली की व्यवस्था है।

ऐतिहासिकता  : यह एक सिद्धक्षेत्र है। यहीं से इन्द्रजीत व कुम्भकर्ण आदि साढे पाँच करोड़ मुनि मोक्ष पधारे थे। यहाँ पहाड़ में पाषाण की विश्व प्रसिद्ध सबसे ऊँची भगवान आदिनाथ की लगभग 27 मीटर (84 फीट) प्रतिमा उत्कीर्ण है। 52 हाथ ऊँची (किसी काल में गज का प्रमाण 1 हाथ था) होने के कारण ही इसे बावनगजा क्षेत्र कहते हैं। यह मूर्ति 13 वीं शताब्दी से भी पहले बनी थी। पर्वत के पास में ही मंदोदरी का प्रासाद बना है। प्रत्येक बारह वर्ष में महामस्तकाभिषेक व मेला आयोजित होता है। मूर्तियों पर 1223, 1258, 1380 लेख वाली प्रतिमाएँ है। मंदिर के पीछे की ओर आचार्य कुन्दकुन्द की खड़गासन प्रतिमा है।

वार्षिक मेला : प्रति वर्ष भगवान आदिनाथजी के निर्वाणोत्सव पर माध बदी चौदस को मेला लगता है।

समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - तालनपुर - 40 कि.मी., ऊन (पावागिरि) - 80 कि.मी., सिद्धवरकूट - 180 कि.मी., तालनपुर - 40 कि.मी., ऊ पावागढ़ - 220 कि.मी.

आपका सहयोग : 

जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|

Link to comment
Share on other sites

  • Who's Online   0 Members, 0 Anonymous, 8 Guests (See full list)

    • There are no registered users currently online
  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...