admin Posted September 10 Share Posted September 10 आत्म-संबोधन में स्वयं की वास्तविकता और बाहरी दिखावे के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए आपको क्या कदम उठाने चाहिए? अपने जीवन से उदाहरण देकर समझाएँ। 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 10 Share Posted September 10 पर्दुम कुमार से अच्छा उदाहरण है उनके पिछले भब का जब बह मथुरा के राजा मघु के नाम से जाने जाते थे कही युद्ध जीते ओर सुंदर राजकुमारी से बिबाह हुआ उसी समय एक राज्य ओर था जहाँ हेमराज राज्य करते थे राजा मघु उनकी पत्नी ( हेमराज राजा ) मोहीम हो गया मंत्री की कुपित चाल से रानी को पटरानी बना दिया हेमराज राजा यह सहन नहीं हुआ बह पागल सा हो गया पूर्व पति की हालत देखकर बहुत बुरा लगा राजा मघु को समझने से वेराग़्य हुआ मुनि दीक्षा ली 🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ashish harvi jain Posted September 10 Share Posted September 10 बहुत ही सरलता के साथ धर्म का पालन करते हुए अपने जीवन को सार्थक करे। मन वच काय की कुटिलता को त्यागकर परिणाम सरल रखना, धन संपत्ति को अपनी न मानकर केवल जीवन पालन k लिए उपयोग उपभोग करना, और अधिक धन होने पर पात्र दान करना, न्यायिक तरीके से धन कमाना मायाचारी से नही। कथनी करनी में अंतर न करना Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
R K Posted September 10 Share Posted September 10 वास्तविकता और बाहरी दिखावे के बीच संतुलन बनाने के लिए हमें पड़ोसी क्या कर रहा है उस पर ध्यान न देते हुए अपना काम करना चाहिए जो अपने पास है उसी में सन्तुष्ट रहना चाहिए Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sarita Jain Sagar Posted September 10 Share Posted September 10 आत्म संबोधन में स्वयं की वास्तविकता और बाहरी दिखावे के बीच संतुलन बनाए रखने केलिए हमें सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए और अपने विचारों से दूसरों को सही दिशा में ले जाना चाहिए Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pahup Jain Posted September 10 Share Posted September 10 आत्म संबोधन में में हमें सबसे पहले स्वयं की वास्तविकता को स्वीकार करने में संकोच नहीं करना चाहिये तथा बाहरी दिखावे को सत्य के नजरिए से देखना चाहिए l बाहरी दिखावे की प्रमाणिकता के स्तर को जानना चाहिए कि वह वस क्षणिक मात्र है l Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rekha J Posted September 10 Share Posted September 10 हमारे मन में प्रायश्चित के भाव होंगे तो हम किसी से भी मायाचारी करने कुछ हद तक बच पायेंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
रेखा जैन Posted September 10 Share Posted September 10 स्वयं की आत्मा को संबोध कर । Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pravina Shah Posted September 10 Share Posted September 10 चाहे कुछभी हो पर गलत बातो से कभी हावी नही होना चाहिए Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
राजकुमारी जैन गवालियर Posted September 22 Share Posted September 22 Hume jinendra dev ki puja bhakti krna chahiye shastr swadhyay krna jruri h ise atma shanti ki preena milti sahi marg darshan hota h Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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