admin 193 Report post Posted December 4, 2018 अतिशय क्षेत्र सूर्यपहाड़ असम नाम एवं पता - श्री सूर्यपहाड़ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, ग्राम-दुवापाड़ा, तह.- मोरनोई, जिला-ग्वालपाड़ा (असम), पिन कोड - 783 101 टेलीफोन - 9957889957, 8011021913, 9854768151, 9435118987 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास : कमरे (अटैच बाथरूम) - X, कमरे (बिना बाथरूम) - 6 हाल - 1 (बिस्तर वाला) यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 100 नोट : गुवाहाटी में यात्रियों के ठहरने हेतु महावीर भवन है। भोजनशाला : अनुरोध पर सशुल्क औषधालय : निःशुल्क होमियोपेथी पुस्तकालय : है | विद्यालय : लॉर्ड आदिनाथ अकादमी है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन : ग्वालपाड़ा - 18 कि.मी., गुवाहाटी - 140 कि.मी. बस स्टेण्ड : गुवाहाटी दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, त्रिवेन्द्रम, जयपुर से सीधी रेल एवं हवाई सेवा से जुड़ा है। निकटतम प्रमुख नगर : ग्वालपाड़ा- 15 कि.मी., दुवापाड़ा-3 कि.मी., दुधनै-25 कि.मी., कृष्णेय-14 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था : श्री सूर्यपहाड़ दि. जैन अतिशय क्षेत्र विकास समिति अध्यक्ष : श्री महावीर प्रसाद गंगवाल (09435011369) मंत्री : श्री विजय कुमार पांड्या (088768 28477) अतिरिक्त महामंत्री : श्री निरंजन गंगवाल (9864411388) प्रबन्धक : श्री मोतीलाल जैन 'प्रभाकर' (09957889957) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01+2 चैत्यालय क्षेत्र पर पहाड़ : बहुत मनोरम पहाड़ है। लगभग 250 सीढ़ियाँ एवं ऊपर वाहन नहीं जाते हैं। ऐतिहासिकता : गुवाहाटी से लगभग 140 कि.मी. की दूरी पर गोवालपाड़ा (ग्वालपाड़ा) जिले के अन्तर्गत सूर्य पहाड़ नामक एक पर्वत है। यहाँ उत्कीर्णित जैन मूर्तियों की लोग विभिन्न देवी देवताओं के रूप में उपासना करते हैं। सन् 1975 में सूर्यपहाड़ की एक गुफा में एक चट्टान पर उकेरी भगवान आदिनाथ व पद्मप्रभु की खड्गासन मूर्तियां प्राप्त हुई। सन् 1994 में पुनः श्री सुपाश्र्वनाथ तीर्थंकर की एक प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई। पुरातत्ववेताओं ने इन मूर्तियों का निर्माण काल 8वीं शताब्दी के आस पास बताया है। पुरातत्व के आधार पर कभी यह स्थल हिन्दू, बौद्ध एवं जैन धर्मों का प्रभावशाली केन्द्र रहा। भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा ने इस क्षेत्र (सूर्य पहाड़) के विकास हेतु समिति का गठन किया। असम सरकार ने क्षेत्र के विकास हेतु 52 बीघा भूमि महासभा को आबंटित की है। वार्षिक मेला : भगवान आदिनाथ का निर्वाण कल्याणक माघ कृष्ण चतुर्दशी को सन् 1994 से मनाया जाता है। प्रति वर्ष धार्मिक मेला भी आयोजित होता है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : सूर्य मंदिर, शिव मंदिर, बुद्ध स्तूप, लखी पहाड़, पंचरतन पर्वत, वेद-हुआ, पगलाटेक। यहाँ अनेक शिवलिंग हैं। सम्पर्क सूत्र : मोतीलाल जैन 'प्रभाकर' श्री सूर्यपहाड़ग्वालपाड़ा, वास्तु शास्त्री, प्राचार्य - प्रबंधक आपका सहयोग :जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Share this post Link to post Share on other sites