सिद्ध क्षेत्र कनकगिरि कर्नाटक
नाम एवं पता - श्री कनकगिरि दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र, कनकगिरि ग्राम - पो. - मलेयूर, तह. एवं जि.-चामराजनगर (कर्नाटक) पिन - 571128 टेलीफोन - 08226-211786, 210786, 09449203201
क्षेत्र पर उपलब्ध
आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 20 यात्री निवास 18 कमरे अटैच
सुविधाएँ - हाल-3 (यात्री क्षमता-100+50+50), यात्री ठहराने की कुल क्षमता-300, गेस्ट हाऊस - 13
भोजनशाला - है, नियमित
पुस्तकालय - पुस्तके - 5000, शास्त्र- 100
औषधालय - है।
विद्यालय - स्कूल/कॉलेज/आश्रम
आवागमन के साधन
रेल्वे स्टेशन - कवलन्दे - 10 कि.मी.मैसूर - 52 कि.मी.
बस स्टेण्ड पहुँचने का सरलतम मार्ग - मलेयूर - 1 कि.मी. नंजनगुड़ (ऊटी हाईवे) से 25 कि.मी. चामराजनगर 20 कि.मी.
निकटतम प्रमुख नगर
मैसूर शहर-58 कि.मी., मैसूर-ऊटी के मध्य नंजनगुड़ शहर-25 कि.मी., हरवे-4 कि.मी., मूगूर-50 कि.मी., उम्मत्तूर-35 कि.मी., कुदेरू-2 कि.मी.तगडूर-20 कि.मी. एचिगनहल्ली- 35 कि.मी., बैंगलोर-200 कि.मी.
प्रबन्ध व्यवस्था
संस्था - श्री दिगम्बर जैन मठ, कनकगिरि
अध्यक्ष - स्वस्ति श्री भट्टारक भुवनकीर्ति जी
मंत्री - श्री विनोद बाकलीवाल, मैसुर (9900420001)
प्रबन्धक - श्री मेघराज (09449203201)
क्षेत्र का महत्व
क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 3 (24 चरण-प्रत्येक नसियाएँ)
क्षेत्र पर पहाड़ - है,350 सीढ़ियाँ हैं वाहन ऊपर तक जा सकते हैं।
ऐतिहासिकता - कनकगिरि या कनकाद्रि के नाम से जाना जाता है। आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामी की तपोभूमि एवं समाधि क्षेत्र, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु राज्यों की सीमा पर स्थित मलेयर गांव में स्थित है। भगवान महावीर का विहार यहाँ हुआथा। कर्नाटक राज्य के मैसूर नगर से 50 कि.मी. की दूरी पर स्थित मनोरम शिलाखण्डों का पर्वत सूर्यपुर के महान तपोनिधि सुप्रतिष्ठ महामुनि ने घोरतप साधना के फलस्वरूप केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त किया। अन्तिम श्रुतकेवली भद्रबाहु स्वामी से सम्बद्घ शिलालेख एवं गुफायें यहाँ उपलब्ध है। श्री अनन्तबल मुनि का यह केवल ज्ञान स्थल है। यह ज्ञानचन्द मुनि की मोक्ष स्थली है। जैन मुनि तपस्वियों के साधकों की सल्लेखना विधिपूर्वक समाधि के बारे में 27 से भी अधिक शिलालेख हैं। चौबीस तीर्थंकरों के चरण स्थापित, टोंकेभी निर्मित हैं।
समीपवर्ती दर्शनीय एवं तीर्थक्षेत्र
श्रवणबेलगोला, वाया मैसूर -140, चन्द्रनाथगिरि, वेनाडू (केरल) केलसुरा, ऊंटी-138 आ.वीरसेनस्वामी -घवला के अमूल्यग्रंथों के रचयिता की तपोभूमि- श्री दिग. जैन मठ भी है। प्राचीन तीर्थक्षेत्र है, अनेक जैनाचार्यों की समाधिस्थली है।
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