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JainSamaj.World

About This Club

जैन समाज टीकमगढ़

Category

Regional Samaj

Jain Type

Digambar
Shwetambar

Country

Bharat (India)

State

Madhya Pradesh
  1. What's new in this club
  2. अतिशय क्षेत्र पपौराजी मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, पपौराजी मु.-पोस्ट - पपौराजी, तह. एवं जिला-टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)पिन-472001 टेलीफोन - 094243-46145, 09754516264 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 50, कमरे (बिना बाथरूम) - 150 हाल - 6, (यात्री क्षमता - 1000) गेस्ट हाऊस - 1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 2000. भोजनशाला - नि:शुल्क अन्य - ऋषभ त्यागी वृती उदासीन आश्रम, सरस्वती सदन, प्रवचन हॉल औषधालय - है (आयुर्वेदिक) पुस्तकालय - है। विद्यालय - है (व्रती आश्रम) एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - ललितपुर-65 कि.मी., झाँसी-100 कि.मी.,मऊरानीपुर-60 कि.मी. बस स्टेण्ड - टीकमगढ़-5 कि.मी., दमोह-135 कि.मी., सागर-125 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - सड़क मार्ग व्हाया टीकमगढ़ - 5 कि.मी. निकटतम प्रमुख नगर - टीकमगढ़ - 5 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिग. जैन अतिशय क्षेत्र पपौराजी प्रबन्धकारिणी समिति अध्यक्ष - श्री कोमलचन्द जैन (मो. :094249-23545) महामंत्री - श्री विजयकुमार तौरया (098935-16688) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 108 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र 3 कि.मी. के परकोटे में 108 गगनचुम्बी जिनालयों से विविध शैली में निर्मित है । इनका निर्माण 12 वीं शताब्दी से 20 वीं शताब्दी के मध्य हुआ । यहाँ एक भव्य चौबीसी मन्दिरों का समूह चौबीसी के नाम से जाना जाता है, जिसमें चारों दिशाओं में 6-6 जिनालय हैं। प्रवेश द्वार मन्दिर ऐसा प्रतीत होता है मानों रथ में घोड़े जुते हों ओर तेजी से जा रहे हों । बाहुबली मन्दिर भी दर्शनीय है। वार्षिक मेले : कार्तिक सुदी 13 से 15 तक वार्षिक मेला लगता है। कार्तिक सुदी अमावस्था को महावीर निर्वाण महोत्सव। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - अहारजी-22कि.मी. द्रोणागिरि-65कि.मी. नैनागिरि-100कि.मी.,देवगढ़ -95कि.मी., कुण्डलपुर- 180कि.मी,ललितपुर-60कि.मी,सेरोनजी-120कि.मी,सोनागिर 140कि.मी. पावागिर-70 कि.मी.,थुबोनजी-120कि.मी., चन्देरी - 120 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  3. सिद्ध क्षेत्र फलहोड़ी-बड़ागाँव मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री 1008 दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, फलहोड़ी-बड़ागाँव ग्रा.-फलहोड़ी-बड़ागाँव (धसान), तह. एवं जि.-टीकमगढ़ (म.प्र.) पिन-472010 टेलीफोन - मंत्री - 09977016880 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - ४ कमरे (बिना बाथरूम) - 8 हाल - 2, (यात्री क्षमता - 100+ 50 ),त्यागी वृत्ति आश्रम - 14 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 200 भोजनशाला - नहीं अन्य : उदासीन आश्रम है। औषधालय - नहीं पुस्तकालय - 3500 पुस्तकें विद्यालय - है। एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - ललितपुर-75 कि.मी.,दमोह-100 कि.मी.,झांसी-130 कि.मी बस स्टेण्ड - बड़ागाँव (धसान) आधा कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - टीकमगढ़ से सागर - राज मार्ग (हर आधा घंटा पर बस सेवा उपलब्ध) निकटतम प्रमुख नगर - टीकमगढ़ - 30 कि.मी., सागर-100 कि.मी., बड़ागाँव - (धसान) 0.5 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिग. जैन सिद्ध क्षेत्र, फलहोड़ी - बड़ागाँव प्र. का. समिति अध्यक्ष - श्री महेन्द्रकुमार जैन (094251 41579) मंत्री - श्री शाह मुन्नालाल जैन (07683-210823, 9977016880) कार्यालय - श्री रमेशचन्द्र जैन (09630120392) प्रचार मंत्री - श्री अमितकुमार जैन (09926859688) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : तीन जिनालय, सात वेदी क्षेत्र पर पहाड़ : है। 80 सीढ़ियाँ हैं। ऐतिहासिकता : इस क्षेत्र से साढ़े तीन करोड़ मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया। यह क्षेत्र बुन्देलखण्ड के तीर्थ क्षेत्रों का केन्द्र है। इसके चारों ओर-25 कि.मी. के अन्तराल में प्राचीन जिन मंदिर एवं तीर्थ क्षेत्र स्थित हैं। आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद से पद्मासन 16'/, फीट की आदिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है। 5 फुट खड़गासन ‘सफेद चौबीसी' है। वार्षिक मेला - महावीर जयंती पर समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - अहारजी - 25 कि.मी., पपौराजी - 25 कि.मी., नैनागिरि-70 कि.मी., द्रोणगिरजी - 32 कि.मी., नवागढ़ - 07 कि.मी., कारीटोरन-18 कि.मी. थूबोनजी-90 कि.मी., गिरारजी-60 कि.मी., बंधाजी-65 कि.मी., बानपुर-40 कि.मी., खजुराहो-135 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  4. अतिशय क्षेत्र बंधाजी मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री 1008 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, बंधा जी तहसील - जतारा, जिला - टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) पिन - 472 101 टेलीफोन - 090983 55530 email : bandhaji1008@yahoo.com क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम)-25, कमरे (बिना बाथरूम) - 40 हाल - 2 (यात्री क्षमता - 200), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 450, संतनिवास कमरे-14 भोजनशाला - निःशुल्क, नियमित औषधालय - है | पुस्तकालय - है। विद्यालय - है (आश्रम प्रस्तावित) एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - ललितपुर से वाया टीकमगढ़ वम्हौरी होते हुए बंधाजी-97 कि.मी. बस स्टेण्ड - ललितपुर से वाया वांसी वार मोहनगढ़ होते हुए बंधाजी-60 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - निजी वाहन से यात्रा सफर निकटतम प्रमुख नगर - टीकमगढ़ - 40 कि.मी., झाँसी से 70 कि.मी. बम्हौरी (बराना) होते हुए। प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री 1008 दि. जैन अतिशय क्षेत्र, बंधा जी, जिला - टीकमगढ़ अध्यक्ष - श्री सुभाषचंद्र जैन, टीकमगढ़ (09993487900) महामंत्री - श्री राजेन्द्रकुमार सिंघई, मोहनगढ़ (09754450968) मंत्री - श्री निर्मलकुमार जैन,बड़माड़ई वाले,टीकमगढ़ (09425880284) प्रबन्धक - श्री रमेशचन्द जैन, (09098355530) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 06 एवं एक अद्वितीय मानस्तंभ क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं ऐतिहासिकता : यह क्षेत्र 1500 वर्ष प्राचीन है। मुगल काल में धर्मविद्रोहियों ने भगवान अजितनाथ की मूर्ति खण्डित करने का प्रयास किया, तभी विद्रोहीजन देवयोग से जकड़ा गये, तभी से इस क्षेत्र का नाम 'बंधा' विख्यात हुआ। मूल नायक भ. अजितनाथ की मूर्ति अतिशय युक्त है। सन् 1953 में आचार्य श्री महावीरकीर्तिजी ने मूर्ति के जलाभिषेक को सूखे कुएं में डालकर जल से परिपूर्ण किया। सन् 1997 में 3 माह तक पाँच दूध जैसी धारायें देवयोग से बनी। सन् 1998 में दीपावली पर मूर्ति के सामने रखे दीपों में से एक दीप बहुत धमाके की आवाज देकर फटा जिसके टुकड़े मूर्ति को छोड़कर सभी दूर जा गिरे। ऐसे अतिशय आज भी क्षेत्र पर देखने को मिलते हैं। आज भी मनोकामना पूरी होती है। दूर-दूर से यात्री आते हैं। क्षेत्र पर प्रतिवर्ष निरंतर 1000 शांतिनाथ नवग्रह विधान होते हैं तथा विधान केसमय कभी-कभी सभी प्रतिमाओं से जलकीधाराआना शुरू हो जाती है। वार्षिक मेला : चैत सुदी 3 से 5 तक समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र : सोनागिरि-120 कि.मी., करगुवाँजी-70 कि.मी. पपौराजी-45 कि.मी. अहारजी- 65कि.मी., ओरछा - पर्यटक क्षेत्र (झाँसी के निकट)- 57 कि.मी., कुण्डेश्वर (शंकरजी का भव्य मंदिर)-50 कि.मी., पावागिरी - 50 कि.मी., (टीकमगढ़ के निकट) वाया तालबेहट पूराकला अच होते निरंतर बसों से सुविधा आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  5. सिद्ध क्षेत्र अहारजी मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, अहारजी तहसील - बल्देवगढ़, जिला - टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) पिन - 472 001 टेलीफोन - 07683-298932, 09926610184, नरेन्द्रकुमार जैन-09425141593 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 22, कमरे (बिना बाथरूम) - 150 हाल - 3 (यात्री क्षमता - 200), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000. ए.सी.कमरे-02 , डीलक्स कमरे-14 भोजनशाला - सशुल्क, अनुरोध पर औषधालय - है (आयुर्वेदिक) पुस्तकालय - है। विद्यालय - है (संस्कृत विद्यालय, एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - है। छात्रावास, व्रती आश्रम) आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मऊरानीपुर-62 कि.मी., ललितपुर-83 कि.मी., झाँसी-120 कि.मी. बस स्टेण्ड - बलदेवगढ़ - 10 कि.मी., टीकमगढ़ - 25 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - सड़क मार्ग टीकमगढ़ से अहारजी निकटतम प्रमुख नगर - टीकमगढ़ - 25 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - प्रबन्धकारिणी समिति, अहारजी (सिद्धक्षेत्र अहारजी) अध्यक्ष - श्री महेन्द्रजैन बड़ागांव, टीकमगढ़ (09425141579) महामंत्री - श्री राजकुमार जैन (09407067923) प्रबन्धक - श्री वीरेन्द्रकुमार जैन (07683-298932, 09926485273) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 08, मानस्तम्भ-2, चरणछतरी-6 (पंचपहाड़ी पर) क्षेत्र पर पहाड़ - क्षेत्र से .75 कि.मी. की दूरी पर है,40 सीढ़ियाँ है। ऐतिहासिकता - इस क्षेत्र से भगवान मल्लिनाथ के तीर्थकाल में सत्रहवें कामदेव मदनकुमार (नलराज) एवं महावीर स्वामी के तीर्थकाल में आठवें केवली बिस्कवल ने तपस्या कर मोक्ष प्राप्त किया। जनश्रुति है कि 12वीं शताब्दी में चंदेरी निवासी पाणाशाह व्यापारी ने जिन दर्शन उपरांत भोजन करने का व्रत ले रखा था। एक बार उन्हें रांगा भरी गाड़ियों सहित यहाँ रुकना पड़ा, लेकिन यहाँ जिनालय न होने से वे भोजन ग्रहण नहीं कर सकते थे। तभी उन्हें वहाँ मुनिराज के दर्शन हुए, उन्हें आहार देकर स्वयं भोजन किया। संयोग से उनका रांगा चाँदी में परिवर्तित हो गया। उस द्रव्य राशि से मंदिर बनवाया व क्षेत्र का नाम अहारजी रखा। मूलनायक प्रतिमा शांतिनाथ भगवान की लगभग 5 मीटर ऊँची है। दीवार वेदियों में त्रिकाल चौबीसी तथा 20 विदेह क्षेत्र स्थित तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ विराजमान हैं। मूर्तियाँ 11वीं व 12वीं शताब्दी की हैं। प्रतिवर्ष अगहन सुदी 13 से 15 तक वार्षिक मेला लगता है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - पपौराजी - 22 कि.मी., द्रोणगिरि - 56 कि.मी., खजुराहो - 125 कि.मी., श्री फलहौड़ी - बड़ागाँव-30 कि.मी., ओरछा-110 कि.मी., कुंडेश्वर - 30 कि.मी. आपका सहयोग :जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
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