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JainSamaj.World

About This Club

जैन समाज खरगोन

Category

Regional Samaj

Jain Type

Digambar
Shwetambar

Country

Bharat (India)

State

Madhya Pradesh
  1. What's new in this club
  2. सिद्ध क्षेत्र ऊन (पावागिरि) मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र पावागिरिजी, ऊन ग्राम - ऊन, तहसील/जिला - खरगोन (मध्यप्रदेश) पिन - 451440 टेलीफोन - 07282 - 261328, 08989611998 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 36, कमरे (बिना बाथरूम) - 7 हाल - 4 (यात्री क्षमता - 250), गेस्ट हाऊस - 2 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 700. भोजनशाला - नियमित,सशुल्क औषधालय है। पुस्तकालय - है। विद्यालय - नहीं। एस.टी.डी./ पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - सनावद - 80 कि.मी., खण्डवा 105 कि.मी. बस स्टेण्ड - ऊन पहुँचने का सरलतम मार्ग - सड़क मार्ग इन्दौर, खण्डवा, खरगोन से बसें उपलब्ध निकटतम प्रमुख नगर - खरगोन - 18 कि.मी., इंदौर - 160 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र पावागिरिजी, ऊन अध्यक्ष - श्री हेमचंद झांझरी, इंदौर (09826033179) वर्किंग ट्रस्टी - श्री गुलाबराव मण्ड्लोई, महेश्वर (09926034088) महामंत्री - श्री अशोक झांझरी, भीकनगाँव (09425939648) मंत्री - श्री हसमुख जैन गांधी, इन्दौर (09302103513) मंत्री - श्री कैलाश जटाले, सनावद (08109979288) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 09 क्षेत्र पर पहाड़ : पहाड़ी / टेकरी है । वाहन जाते हैं । लगभग 1/2 कि.मी. की दूरी पर। ऐतिहासिकता : ऊन स्वर्णभद्र मुनि की मोक्षस्थली है। जनश्रुति है कि राजा बल्लाल ने बाल्यकाल में नागिन निगल ली थी जो समय के साथ कष्ट देने लगी। अत: कष्ट निवारण हेतु प्राण विसर्जित करने काशी गंगा चल दिये। रास्ते में रात में रानी ने नाग-नागिन की बातें सुनकर राजा को जानकारी दी। उससे कष्ट निवारण हो गया व दौलत भी प्राप्त हुई। राजा ने 100 तालाब, मंदिर एवं बावड़ी बनाने का संकल्प लिया, लेकिन दुर्भाग्यवश तीनों चीजें 99-99 ही बनवा सका, अत: क्षेत्र का नाम (ऊन) (न्यून/कमी वाला) पड़ गया। नगर में 11 वीं व 12 वीं शताब्दी के मन्दिर व मूर्तियाँ हैं। यहअतिशय क्षेत्र भी है। 12वीं सदी की मनोज्ञ श्री शांतिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ की क्रमशः14,9,9फीट की विशाल प्रतिमाएँ विराजमान हैं खुदाई से प्राप्त अतिशयकारी 12वीं सदी की भगवान महावीर की श्यामवर्ण प्रतिमा स्वर्ण कार्य युक्तमुख्य मंदिर में विराजमान है। वार्षिक मेला : रंगपंचमी पर प्रतिवर्ष समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र बावनगजा-80 कि.मी., सिद्धवरकूट-110 कि.मी., गोम्मटगिरि-इन्दौर-160 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें | यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें | ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
  3. पोरवाड़ दि. जैन धर्मशाला, खरगोन (म.प्र.) फोन : 07282-233882, 090093-53612 (20 कमरे) आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस धर्मशाला के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस धर्मशाला में रुके है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें|
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