सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरि (मेंढागिरि) मध्यप्रदेश
नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र, मुक्तागिरि पोस्ट-थपोड़ा, तहसील-भैंसदेही, जिला-बैतूल (मध्यप्रदेश)पिन - 460220
टेलीफोन - 07223 - 202146, 202147, 093253-89573 www.muktagiri.org
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ
आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 54, (बिना बाथरूम) - 35 छोटा हाल (अटैच बाथरूम) - 6 हॉल-1,डीलक्स (एयरकुल्ड)-16
यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 1000.
भोजनशाला - है - सशुल्क
औषधालय - है
पुस्तकालय - है।
विद्यालय - नहीं।
एस.टी.डी./पी.सी.ओ. - है।
आवागमन के साधन
रेल्वे स्टेशन - बैतूल - 100 कि.मी., आकोट - 75 कि.मी.
बस स्टेण्ड - परतवाड़ा - 14 कि.मी.
पहुँचने का सरलतम मार्ग - दिल्ली - चेन्नई मार्ग से आने वाले बैतूल स्टेशन पर उतरें, बैतूल व अमरावती से परतवाड़ा बस द्वारा। परतवाड़ा से मुक्तागिरि थ्री - व्हीलर भी चलते हैं। जयपुर - इंदौर से आने वाले आकोट, मुम्बई - कलकत्ता से आने वाले - बडनेरा उतरें।
निकटतम प्रमुख नगर - परतवाड़ा - 14 कि.मी. अमरावती - 65 कि.मी., इन्दौर-380 कि.मी.
प्रबन्ध व्यवस्था
संस्था - श्री दिगम्बर जैन सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरि कमेटी
अध्यक्ष - श्री अतुलकुमार कलमकर, अमरावती (0721 - 2672248)
ट्रस्टी - श्री रवीन्द्रकुमार बड़जात्या, इन्दौर (0731 - 3298037)
श्री प्रसाद संगई, अंजनगांव सुर्जी (07224- 242145)
श्री अशोककुमार चंवरे, कारंजा (लाड़) (07256 - 223099)
श्री वसन्त भाई दोशी, मुम्बई (022-22068212)
प्रबन्धक - श्री नेमीचन्द महाजन जैन, मुक्तागिरि (07223 - 202146)
क्षेत्र का महत्व
क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : पहाड़ पर 52 + तलहटीपर 2
क्षेत्र पर पहाड़ : है -250 सीढ़ियाँ हैं।
ऐतिहासिकता : इस क्षेत्र से साढ़े तीन करोड़ मुनि निर्वाण को प्राप्त हुए थे। पाश्र्वनाथजी का पहला मन्दिर शिल्प कला का सुन्दर उदाहरण है, प्रतिमा सप्तफ़णमण्डित एवं प्राचीन है। जनश्रुति के अनुसार यहाँ पर हर अष्टमी, चौदस एवं पूर्णिमा को केसर-चंदन की वर्षा होती है, अधिकांश मन्दिर 16 वीं शताब्दी अथवा उसके बाद के बने हुए हैं। मन्दिर क्रमांक 10 मेंढागिरि के नाम से प्रसिद्ध है, जो पहाड़ी के गर्भ में खुदा हुआ अति प्राचीन मन्दिर है। इसकी नक्काशी, स्तम्भों व छत की अपूर्व रचना दर्शनीय है। भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा अति मनोज्ञ है। यहाँ एक रमणीय जल प्रपात है। कार्तिक पूर्णिमा को मेला व रथयात्रा का आयोजन होता है। विशेष जानकारी : यहाँ पर भगवान शीतलनाथ जी का समवशरण आया था। मोतियों की वर्षा होने से मुक्तागिरि नाम पड़ा।
समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - भातकुली जैन - 80 कि.मी., कारंजा (लाड़)- 140 कि.मी., रामटेक-265 कि.मी. शिरपूर अंतरिक्ष - पार्श्वनाथ - 230 कि.मी., कारंजा से सिरपुर - 100 कि.मी., नेमगिरि (जितूर) - 350 कि.मी., चिखलदरा (हिल स्टेशन) - 65 कि.मी.
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