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कर्तृवाच्य : सकर्मक क्रिया से - पाठ 4


Sneh Jain

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जहाँ क्रिया के विधान का विषय 'कर्त्ता' हो वहाँ कर्तृवाच्य होता है। सकर्मक क्रिया के साथ कर्तृवाच्य बनाने के लिए कर्त्ता में प्रथमा तथा कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है और क्रिया के पुरुष और वचन कर्त्ता के पुरुष और वचन के अनुसार होते हैं। सकर्मक क्रिया के साथ कर्तृवाच्य का प्रयोग प्रायः भूतकाल में नहीं होता, बाकी तीनों कालों में होता है।

 

वाक्य रचना : वर्तमानकाल

मैं पुस्तक पढता हूँ

हउं गंथु पढउं।

हम पुस्तकें पढ़ते हैं

अम्हे गंथा पढहुं।

तुम मुझको देखते हो

तुहुं मइं पेच्छहि।

तुम सब हम सबको देखते हो

तुम्हइं अम्हइं पेच्छहु।

वह उसको देखता है

सो तं पेच्छइ।

वे सब उन सबको देखते हैं

ते ता पेच्छन्ति।

माता कथा कहती है

माया कहा कहइ।

माताएँ कथाएँ कहती हैं

मायाउ कहाउ कहन्ति।

पिता बालक को बुलाता है

जणेरो बालउ कोकइ।

पिता बालकों को बुलाते हैं

जणेरा बालआ कोकहिं।

 

वाक्य रचना : विधि एवं आज्ञा

मैं पुस्तक पढूँ

हउं गंथु पढमु ।

हम पुस्तकें पढ़ें

अम्हे गंथा पढमो।

तुम मुझको देखो

तुहुं मइं पेच्छि ।

तुम सब हम सबको देखो

तुम्हइं अम्हइं पेच्छह।

वह उसको देखे

सो तं पेच्छउ।

वे सब उन सबको देखें

ते ता पेच्छन्तु।

माता कथा कहे

माया कहा कहउ।

माताएँ कथाएँ कहें

मायाउ कहाउ कहन्तु।

पिता बालक को बुलावे

जणेरो बालउ कोकउ।

पिता बालकों को बुलावे

जणेरा बालआ कोकउ।

 

वाक्य रचना : भविष्यतकाल

मैं पुस्तक पढूँगा

हउं गंथु पढेसउं।

हम पुस्तकें पढ़ेंगे

अम्हे गंथा पढेसमो।

तुम मुझको देखोगे

तुहुं मइं पेच्छेससि।

तुम सब हम सबको देखोगे

तुम्हइं अम्हइं पेच्छेसइत्था।

वह उसको देखेगा

सो तं पेच्छिहिइ।

वे सब उन सबको देखेंगे

ते ता पेच्छिहिन्ति।

माता कथा कहेगी

माया कहा कहेसइ।

माताएँ कथाएँ कहेंगी 

मायाउ कहाउ कहिहिन्ति।

पिता बालक को बुलावेगा

जणेरो बालउ कोकेसइ।

पिता बालकों को बुलावेंगे

जणेरा बालआ कोकेसन्ति।

इसी प्रकार पाठ-2 में दिये गये सभी संज्ञा शब्द व सकर्मक क्रियाओं का प्रयोग कर विभिन्न कालों में कर्तृवाच्य में वाक्य रचना की जाती है।

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