कर्तृवाच्य : अकर्मक क्रिया से - पाठ 3
1. कर्तृवाच्य -
जहाँ क्रिया के विधान का विषय 'कर्ता' हो, वहाँ कर्तृवाच्य होता है। कर्तृवाच्य का प्रयोग अकर्मक व सकर्मक दोनों क्रियाओं के साथ होता है। अकर्मक क्रिया से कर्तृवाच्य बनाने के लिए कर्ता सदैव प्रथमा विभक्ति में होता है तथा कर्ता के वचन व पुरुष के अनुसार क्रियाओं के वचन व पुरुष होते हैं। अकर्मक क्रिया के साथ कर्तृवाच्य का प्रयोग चारों काल - वर्तमानकाल, विधि एवं आज्ञा, भविष्यत्काल तथा भूतकाल में होता है।
वर्तमानकाल
(क) उत्तमपुरुष एक वचन में 'उं' और ‘मि' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। ‘मि' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'आ' और 'ए' भी हो जाते हैं।
(ख) वर्तमानकाल के उत्तमपुरुष बहुवचन में ‘हुं’, ‘मो’, ‘मु’ और ‘म’ प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। ‘मो', 'मु’ और ‘म’ लगने पर अकारान्त क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का आ, इ और ए भी हो जाता है।
(ग) वर्तमानकाल के मध्यमपुरुष एकवचन में 'हि' ‘सि’ और ‘से' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। 'सि' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है। ‘से' प्रत्यय मात्र अकारान्त क्रिया में ही लगता है। आकारान्त ओकारान्त आदि क्रियाओं में 'से' प्रत्यय नहीं लगता।
(घ) वर्तमानकाल के मध्यमपुरुष बहुवचन में ‘हु' 'ह' और 'इत्था प्रत्यय क्रिया में लगते हैं।
(ङ) वर्तमानकाल के अन्यपुरुष एकवचन में 'इ' और 'ए' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। 'इ' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का ‘ए’ भी हो जाता है। ‘ए’ प्रत्यय अकारान्त क्रियाओं में ही लगता है।
(च) वर्तमानकाल के अन्यपुरुष बहुवचन में ‘हिं’ ‘न्ति’ ‘न्ते' और 'इरे' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं।
नोट - संयुक्ताक्षर के पहिले यदि दीर्घ स्वर हो तो वह ह्रस्व हो जाता है। जैसे - ठान्ति–ठन्ति, ण्हान्ति–ण्हन्ति आदि।
पुरुषवाचक सर्वनाम रूप
( प्रथमा विभक्ति, तीनों पुरुषों व दोनों वचनों में )
एकवचन | बहुवचन | |
उत्तमपुरुष |
हउं (मैं) | अम्हे, अम्हइं (हम सब) |
मध्यम पुरुष |
तुहुं (तुम) | तुम्हे, तुम्हइं (तुम सब) |
अन्य पुरुष |
सो (वह–पु.) सा (वह–स्त्री) |
ते, ता (वे सब–पु.) ता, त, ताउ, तउ, ताओ, तओ (वे सब-स्त्री) |
तीनों पुरुषों एवं दोनों वचनों में वर्तमानकालिक क्रिया के प्रत्यय -
एकवचन | बहुवचन | |
उत्तम पुरुष |
उं, मि | हुं, मो, मु, म |
मध्यम पुरुष |
हि, सि, से | हु, ह, इत्था |
अन्य पुरुष |
इ, ए | हिं, न्ति, न्ते, इरे |
वाक्य रचना -
मैं हँसता हूँ/ हँसती हूँ। |
हउं हसउं, हसमि, हसामि, हसेमि। (अकारान्त क्रिया) |
मैं ठहरता हूँ/ठहरती हूँ। |
हउं ठाउं, ठामि। (आकारान्त क्रिया) |
हम सब हँसते हैं/ हँसती हैं। |
अम्हे, अम्हइं - हसहुं, हसमो, हसमु, हसम। (हसामो, हसामु, हसाम,/ हसिमो, हसिमु, हसिम/हसेमो, हसेमु, हसेम) रूप भी बनेंगे। |
हम सब ठहरते हैं। |
अम्हे/अग्हई ठाहुं, ठामो, ठामु, ठाम। |
तुम हँसते हो। |
तुहुं हसहि, हससि, हससे, हसेसि। |
तुम ठहरते हो। |
तुहं ठाहि, ठासि। |
तुम सब हँसते हो। |
तुम्हे/तुम्हइं हसहु, हसह, हसित्था। |
तुम सब ठहरते हो। |
तुम्हे/तुम्हई ठाहु, ठाह, ठाइत्था। |
वह हँसता है/ हँसती है। |
सो/सा हसइ, हसेइ, हसए। |
वह ठहरता है/ ठहरती है। |
सो/सा ठाइ। |
वे सब हँसते हैं। |
ते/ता हसहिं, हसन्ति, हसन्ते, हसिरे। |
वे सब ठहरते हैं। |
ते/ता ठाहिं, ठान्ति–ठन्ति, ठान्ते–ठन्ते, ठाइरे। |
राजा हँसता है। |
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु/नरिंदो हसइ, हसेइ, हसए। |
राजा हँसते हैं। |
नरिंद/नरिंदा हसहिं, हसन्ति, हसन्ते, हसिरे। |
माता हँसती है। |
माया/माय हसइ, हसेइ, हसए। |
माताएँ हँसती हैं। |
माया/माय/मायाउ/मायउ, मायाओ/मायओ हसहिं हसन्ति, हसन्ते, हसिरे। |
कमल खिलता है। |
कमल/कमला/कमलु विअसइ, विअसेइ, विअसए। |
कमल खिलते हैं। |
कमल/कमला/कमलइं/कमलाइं विअसहिं, विअसन्ति, विअसन्ते, विअसिरे |
विधि एवं आज्ञा
जब किसी कार्य के लिए प्रार्थना की जाती है तथा आज्ञा एवं उपदेश दिया जाता है तो इन भावों को प्रकट करने के लिए विधि एवं आज्ञा के प्रत्यय क्रिया में लगा दिए जाते हैं।
(क) विधि एवं आज्ञा के उत्तमपुरुष एकवचन में ‘मु' प्रत्यय क्रिया में लगता है। इसके लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का ‘ए’ भी हो जाता है।
(ख) विधि एवं आज्ञा के उत्तमपुरुष बहुवचन में 'मो' प्रत्यय क्रिया में लगता है। इसके लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का ‘आ’ और ‘ए’ भी हो जाता है।
(ग) विधि एवं आज्ञा के मध्यमपुरुष एकवचन में 'इ' ‘ए’ ‘उ' '०' ‘हि और 'सु' प्रत्यय क्रिया में लगते हैं। ‘हि' और 'सु' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का 'ए' भी हो जाता है। '०' प्रत्यय अकारान्त क्रियाओं में ही लगता है। आकारान्त, ओकारान्त, इकारान्त आदि क्रियाओं में '०' प्रत्यय नहीं लगता।
(घ) विधि एवं आज्ञा के मध्यमपुरुष बहुवचन में ‘ह' प्रत्यय क्रिया में लगता है। ‘ह' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' भी हो जाता है।
(ङ) विधि एवं आज्ञा के अन्यपुरुष एकवचन में 'उ' प्रत्यय क्रिया में लगता है। 'उ' प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का ‘ए’ भी हो जाता है।
(च) विधि एवं आज्ञा के अन्यपुरुष बहुवचन में 'न्तु' प्रत्यय क्रिया में लगता है। न्तु प्रत्यय लगने पर क्रिया के अन्त्य ‘अ’ का ‘ए’ भी हो जाता है।
तीनों पुरुषों एवं दोनों वचनों में विधि एवं आज्ञा के प्रत्यय -
एकवचन | बहुवचन | |
उत्तमपुरुष |
मु | मो |
मध्यमपुरुष |
इ, ए, उ, ०, हि, सु | ह |
अन्यपुरुष |
उ | न्तु |
वाक्य रचना -
मैं हँसूँ |
हउं हसमु, हसेमु। |
मैं ठहरूँ |
हउं ठामु। |
हम सब हँसें |
अम्हे/अम्हइं हसमो, हसामो, हसेमो। |
हम सब ठहरे |
अम्हे / अम्हइं ठामो। |
तुम हँसो |
तुहुं हसि, हसे, हसु, हस, हसहि, हसेहि, हससु, हसेसु। |
तुम ठहरो |
तुहूं ठाइ, ठाए, ठाउ, ठाहि, ठासु। |
तुम सब हँसो |
तुम्हे/तुम्हइं हसह, हसेह। |
तुम सब ठहरो |
तुम्हे/तुम्हइं ठाह। |
वह हँसे |
सो/सा हसउ, हसेउ। |
वह ठहरे |
सो/सा ठाउ। |
वे सब हँसें |
ते/ता हसन्तु, हसेन्तु। |
वे सब ठहरें |
ते/ता ठान्तु–ठन्तु। |
राजा हँसे |
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु / नरिंदो हसउ, हसेउ। |
राजा हँसें |
नरिंद/नरिंदा हसन्तु, हसेन्तु। |
माता हँसे |
माया/माय हसउ, हसेउ। |
माताएँ हँसें |
माया/माय/मायाउ/मायउ/मायाओ/मायओ हसन्तु, हसेन्तु। |
कमल खिले |
कमल/कमला/कमलु विअसउ, विअसेउ। |
कमल खिलें |
कमल/कमला/कमलइं/कमलाइं विअसन्तु, विअसेन्तु। |
भविष्यत्काल
भविष्यत्काल के लिए मुख्य प्रत्यय ‘स' और 'हि' हैं। ‘स' और 'हि' प्रत्यय क्रिया में जोड़ने के पश्चात् वर्तमान काल के प्रत्यय भी उसमे जोड़ दिये जाते हैं। ‘स' प्रत्यय लगाने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'ए' तथा 'हि' प्रत्यय लगाने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है।
तीनों पुरुषों एवं दोनों वचनों में भविष्यत्काल के प्रत्यय -
एकवचन | बहुवचन | |
उत्तमपुरुष |
सउं, हिउं, समि, हिमि |
सहुं, हिहुं, समो, हिमो समु, हिमु, सम, हिम |
मध्यमपुरुष |
सहि, हिहि, ससि, हिसि, ससे, हिसे |
सहु, हिहु, सह, हिह सइत्था, हित्था (हि+इत्था) |
अन्यपुरुष |
सइ, हिइ, सए, हिए |
सहिं, हिहिं, सन्ति, हिन्ति, सन्ते, हिन्ते, सइरे, हिइरे |
वाक्य रचना -
मैं हँसूँगा |
हउं हसेसउं, हसेसमि, हसिहिउं, हसिहिमि। |
मैं ठहरूँगा |
हउं ठासउं, ठासमि, ठाहिउं, ठाहिमि। |
हम सब हँसेंगे |
अम्हे/अम्हइं हसेसहुं, हसेसमो, हसेसमु, हसेसम, हसिहिहुं, हसिहिमो, हसिहिमु, हसिहिम। |
हम सब ठहरेंगे |
अम्हे/अम्हइं ठासहुं, ठासमो, ठासमु, ठासम, ठाहिहुं, ठाहिमो, ठाहिमु, ठाहिम। |
तुम हँसोगे |
तुहुं हसेसहि, हसेससि, हसेससे, हसिहिहि, हसिहिसि, हसिहिसे। |
तुम ठहरोगे |
तुहं ठासहि, ठाससि, ठाहिहि, ठाहिसि। |
तुम सब हँसोगे |
तुम्हे/तुम्हई हसेसहु, हसेसह, हसेसइत्था, हसिहिहु, हसिहिह, हसिहित्था। |
तुम सब ठहरोगे |
तुम्हे/तुम्हइं ठासहूं, ठासह, ठासइत्था, ठाहिहु, ठाहिह, ठाहित्था। |
वह हँसेगा |
सो हसेसइ, हसेसए, हसिहिइ, हसिहिए। |
वह ठहरेगा |
सो ठासइ, ठाहिइ। |
वे सब हँसेंगे |
ते/ता हसेसहिं, हसेसन्ति, हसेसन्ते, हसेसइरे, हसिहिहिं, हसिहिन्ति, हसिहिन्ते, हसिहिइरे। |
वे सब ठहरेंगे |
ते/ता ठासहिं, ठासन्ते, ठासन्ते, ठासइरे, ठाहिहिं, ठाहिन्ति, ठाहिन्ते, ठाहिइरे। |
राजा हँसेगा |
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु/नरिंदो हसेसइ, हसेसए, हसिहिइ, हसिहिए। |
राजा हँसेंगे |
नरिंद/नरिंदा हसेसहिं, हसेसन्ति, हसेसन्ते, हसेसइरे, हसिहिहिं, हसिहिन्ति, हसिहिन्ते, हसिहिइरे। |
माता हँसेगी |
माया/माय हसेसइ, हसेसए, हसिहिइ, हसिहिए। |
माताएँ हँसेंगी |
माया/माय/मायाउ/मायउ/मायाओ/मायओ हसेसहिं, हसेसन्ति, हसेसन्ते, हसेसइरे, हसिहिहिं, हसिहिन्ति, हसिहिन्ते, हसिहिइरे। |
कमल खिलेगा |
कमल/कमला/कमलु विअसइ, विअसेइ, विअसए |
कमल खिलेंगे |
कमल/कमला/कमलइं/कमलाई विअसेसहिं, विअसेसन्ति, विअसेसन्ते, विअसेसइरे, विअसिहिहिं, विअसिहिन्ति, विअसिहिन्ते, विअसिहिरे। |
भूतकाल ( भूतकालिक कृदन्त )
अपभ्रंश में भूतकाल का भाव प्रकट करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग किया जाता है। क्रिया में अ/य प्रत्यय लगाकर भूतकालिक कृदन्त बनाये जाते हैं। क्रिया में अ/य प्रत्यय लगाने पर क्रिया के अन्त्य 'अ' का 'इ' हो जाता है। जैसे -
हस + अ/य |
हसिअ/हसिय |
जग्ग + अ/य |
जग्गिअ/जग्गिय |
सय + अ/य |
सयिअ/सयिय |
ये भूतकालिक कृदन्त विशेषण होते हैं; अतः इनके रूप भी कर्ता (विशेष्य) के अनुसार चलते हैं। कर्ता पुल्लिंग, नपुंसकलिंग, स्त्रीलिंग में से जो भी होगा, इन्हीं के अनुसार भूतकालिक कृदन्त के रूप बनेंगे। इन कृदन्तों के रूप पुल्लिंग में 'देव' के समान, नपुसंकलिंग में 'कमल' के समान तथा स्त्रीलिंग में 'कहा' के अनुसार चलेंगे।
कृदन्त में 'आ' प्रत्यय जोड़कर आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द भी बनाया जा सकता है। (सकर्मक क्रिया से भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग प्रायः कर्मवाच्य में ही होता है; कर्तृवाच्य में नहीं होता।)
वाक्य रचना -
मैं (पु.ए.व.) हँसा |
हउं हसिअ, हसिआ, हसिउ, हसिओ (पु.ए.व) |
मैं (स्त्री. ए.व.) हँसी |
हउं - हसिआ, हसिअ (स्त्री.ए.व.) |
हम सब (पु.ब.व.) हँसे |
अम्हे/अम्हइं हसिअ, हसिआ (पु.ब.व.) |
हम सब (स्त्री.ब.व.) हँसीं |
अम्हे/अम्हइं हसिआ, हसिअ हसिआउ, हसिअउ, हसिआओ, हसिअओ (स्त्री. ब.व.) |
तुम (पु.ए.व.) हँसे |
तुहुं हसिअ, हसिआ, हसिउ, हसिओ (पु.ए.व) |
तुम (स्त्री ए.व.) हँसी |
तुहुं हसिआ, हसिअ (स्त्री.ए.व.) |
तुम सब (पु.ब.व.) हँसे |
तुम्हे/तुम्हइं हसिअ, हसिआ (पु.ब.व.) |
तुम सब (स्त्री.ब.व.) हँसीं |
तुम्हे/तुम्हइं हसिआ, हसिअ, हसिआउ, हसिअउ, हसिआओ, हसिअओ (स्त्री.ब.व.) |
वह (पु.ए.व.) हँसा |
सो हसिअ, हसिआ, हसिउ, हसिओ (पु.ए.व) |
वह (स्त्री.ए.व.) हँसी |
सा हसिआ, हसिअ (स्त्री.ए.व.) |
वे सब (पु.ब.व.) हँसे |
ते हसिअ, हसिआ (पु.ब.व.) |
वे सब (स्त्री.ब.व.) हँसीं |
ता/त/ताउ/तउ/ताओ/तओ हसिआ, हसिअ हसिआउ, हसिअउ, हसिआओ, हसिअओ (स्त्री.ब.व.) |
राजा हँसा |
नरिंद/नरिंदा/नरिंदु/नरिंदो (पु.ए.व.) हसिअ, हसिआ, हसिउ, हसिओ (पु.ए.व.)। |
राजा हँसे |
नरिंद/नरिंदा हसिअ, हसिआ (पु.ब.व.) |
कमल खिला |
कमल/कमला/कमलु (नपु.ए.व.) विअसिअ, विअसिआ, विअसिउ (नपु.ए.व.) |
कमल खिले |
कमल/कमला/कमलइं/कमलाइं (नपु.ब.व.) विअसिअ, विअसिआ, विअसिअइं, विअसिआइं (नपु.ब.व.) |
बहिन हँसी |
ससा/सस (स्त्री.ए.व.) हसिआ, हसिअ (स्त्री.ए.व.) |
बहिनें हँसीं | ससा/सस/ससाउ/ससउ/ससाओ/ससओ हसिआ, हसिअ, हसिआउ, हसिअउ, हसिआओ, हसिअओ (स्त्री.ब.व) |
इसी प्रकार पाठ में दिये गये सभी संज्ञा शब्द व अकर्मक क्रियाओं का प्रयोग कर विभिन्न कालों में कर्तृवाच्य में रचना की जाती है।
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