रामटेक - ४०
?संस्कृति संवर्धक गणेशप्रसाद वर्णी?
*"रामटेक"*
*क्रमांक - ४०*
श्री कुण्डलपुर से यात्रा करने के पश्चात श्री रामटेक के वास्ते प्रयाण किया। हिंडोरिया आया। यहाँ तालाब पर प्राचीन काल का एक जिनबिम्ब है। यहाँ पर कोई जैनी नहीं। यहाँ से चलकर दमोह आया, यहाँ २०० घर जैनियों के बड़े-बड़े धनाढ्य हैं।
मंदिरों की रचना अति सुदृढ़ और सुंदर है। मूर्ति समुदाय पुष्कल है। अनेक मंदिर है। मेरा किसी से परिचय न था और न करने का प्रयास भी किया, क्योंकि जैनधर्म का कुछ विशेष ज्ञान न था और न त्यागी ही था, जो किसी से कुछ कहता।
अतः दो दिन यहाँ निवास कर जबलपुर की सड़क द्वारा जबलपुर को प्रयाण कर दिया। मार्ग में अनेक जैन मंदिरों के दर्शन किए। चार दिन में जबलपुर पहुँच गया। वहाँ के मंदिरों की अवर्णनीय शोभा देखकर जो प्रमोद हुआ उसे कहने में असमर्थ हूँ।
यहाँ से रामटेक के लिए चल दिया। ६ दिन में सिवनी पहुँचा। यहाँ भी मंदिरों के दर्शन किए। दर्शन करने से मार्ग का श्रम एकदम चला गया। २ दिन बाद श्री रामटेक के लिए चल दिया। कई दिनों के बाद रामटेक क्षेत्रपर पहुँच गया।
? *मेरी जीवन गाथा - आत्मकथा*?
?आजकी तिथी- ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा?
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