☀घुटने के बल पर आसन - ३३४
? *अमृत माँ जिनवाणी से - ३३४* ?
*"घुटनों के बल पर आसान"*
नेमीसागर महराज घुटनों के बल पर खड़े होकर आसान लगाने में प्रसिद्ध रहे हैं। मैंने पूंछा- "इससे क्या लाभ होता है?" उन्होंने बताया - "इस आसान के लिए विशेष एकाग्रता लगती है। इससे मन का निरोध होता है। बिना एकाग्रता के यह आसन नहीं बनता है। इसे "गोड़ासन" कहते हैं।
इससे मन इधर उधर नहीं जाता है और कायक्लेश तप भी पलता है। दस बारह वर्ष पर्यन्त मैं वह आसन सदा करता था, अब वृद्ध शरीर हो जाने से उसे करने में कठिनता का अनुभव होता है।"
मैंने पूंछा- "महराज ! गोड़ासन करते समय घुटने के नीचे कोई कोमल चीज आवश्यक है या नहीं?"
वे बोले- "मैं कठोर चट्टान पर भी आसन लगाकर जाप करता था। भयंकर से भयंकर गर्मी में भी गोड़ासन पाषाण पर लगाकर सामयिक करता था। मेरे साथी अनेक लोगों ने इस आसन का उद्योग किया, किन्तु वे सफल नहीं हुए।"
ध्यान के लिए सामान्यतः पद्मासन, पल्यंकासन और कायोत्सर्ग आसन योग्य हैं। अन्य प्रकार का आसन कायक्लेश रूप है। गोड़ासन करने की प्रारम्भ की अवस्था में घटनों में फफोले उठ आए थे। मैं उनको दबाकर बराबर अपना आसन का कार्य जारी रखता था।"
? *स्वाध्याय चा. चक्रवर्ती ग्रंथ का* ?
?आजकी तिथी - चैत्र शुक्ल त्रयोदशी?
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