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☀जीवन में उपवास साधना - 329


Abhishek Jain

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जय जिनेन्द्र बंधुओं,

       चारित्र चक्रवर्ती पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी महराज के जीवन चरित्र की प्रस्तुती की इस श्रृंखला में प्रस्तुत किए शान्तिसागर जी महराज के योग्य शिष्य मुनिश्री पायसागर जी महराज के जीवन चरित्र को सभी ने बहुत ही पसंद किया तथा सभी के जीवन को प्रेरणादायी जाना।

        आज से पूज्य पायसागर जी महराज की भांति आश्चर्य जनक जीवन चरित्र के धारक पूज्य नेमीसागर जी महराज के जीवन चरित्र की कुछ प्रसंगों में प्रस्तुती की जायेगी।

*? अमृत माँ जिनवाणी से - ३२९  ?*

        
          *"जीवन में उपवास साधना"*


        पूज्य चारित्र चक्रवर्ती आचार्यश्री शान्तिसागर जी महराज के योग्य शिष्य पूज्य नेमीसागर जी महराज के दीक्षा के ४४ वर्ष ही हो गए एक उपवास, एक आहार का क्रम प्रारम्भ से चलता आ रहा है। इस प्रकार उनका नर जन्म का समय उपवासों में व्यतीत हुआ।

उन्होंने तीस चौबीसी व्रत के ७२० उपवास किए।

 कर्मदहन के १५६ तथा चारित्रशुद्धि व्रत के १२३४ उपवास किए। 

दशलक्षण के ५ बार १०-१० उपवास किये।

अष्टान्हिका में तीन बार ८-८ उपवास किए।

लोणंद में महराज नेमीसागर ने सोलहकारण के १६ उपवास किए थे।

      इस प्रकार उनकी तपस्या अद्भुत रही है। २, ३, ४ उपवास तो वह जब चाहे तब करते थे।


*? स्वाध्याय चा. चक्रवर्ती ग्रंथ का ?*
?आजकी तिथी - चैत्र शुक्ल अष्टमी?

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