Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
  • entries
    335
  • comments
    11
  • views
    30,971

?राजधर्म पर प्रकाश - अमृत माँ जिनवाणी से - २५७


Abhishek Jain

279 views


जय जिनेन्द्र बंधुओं,

        आज के प्रसंग में पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज का उस समय का उद्बोधन है जब वह सांगली होते हुए शिखरजी को ओर विहार कर रहे थे। प्रवचन में राजधर्म पर प्रकाश डाला गया। आप सोच सकते है कि वर्तमान में उस तरह की परिस्थितियाँ नहीं हैं इसलिए इन बातों की प्रासंगिकता नहीं है। लेकिन मैं सोचता हूँ कि देश में इन सभी बातों का अनुपालन बहुत आवश्यक है। भले ही परिस्थियाँ अलग तरह की हों लेकिन देश हर नागरिक, समाज और राष्ट के हित के लिए जो  बातें अतिआवश्यक है वह अतिआवश्यक ही रहेंगी। इन बातों को जानना, अपने आप को जागरूक करना है।

?   अमृत माँ जिनवाणी से - २५७   ?


             "राज्य धर्म पर प्रकाश"


             सांगली रियासत में राजधर्म के संबंध में पूज्य शान्तिसागरजी महराज के बड़े तर्क शुद्ध विचार थे। महराज का कथन - रामचंद, पांडव ने राज्य किया था। उनका चरित्र देखो। जब दुष्टजन राज्य पर आक्रमण करें, तब शासक को रोकना पड़ता है। दूसरे राज्य के अपहरण को नहीं जाना चाहिए। निरपराध प्राणी की रक्षा करना चाहिए। 

              राजा का कर्तव्य है कि संकल्पी हिंसा बंद करे। निरपराधी जीवों की रक्षा करे। शिकार न खेले न खिलावे। देवताओं के आगे जीव के बलिदान को बंद कराये। दारू मांस खाना बंद करावे। परस्त्री अपहरण को रोके। राजनीति में राजा अपने पुत्र को भी दंड देता है। जुआ, मांस, सुरा, वेश्या, आखेट(शिकार), चोरी, परागना, परस्त्री के सेवन रूप सात व्यसन हैं। इन महापापों को रोकना चाहिए।

         सज्जन का पालन करना और दुर्जन का शासन करना राजनीति है। सत्यधर्म का लोप नहीं करना चाहिए। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, तथा अतिलोभ ये पांच पाप अधर्म हैं। इनका त्याग करना धर्म है। अधर्म को ही अन्याय कहते हैं। जिस राजा के शासन में प्रजा नीति से चले उस राजा को पुण्य प्राप्त होता है। अनीति से राज्य करने पर उसे पाप प्राप्त होता है।

क्रमशः.......

? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Guest
Add a comment...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...