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?शिखरजी यात्रा की विज्ञप्ति - अमृत माँ जिनवाणी से - २४९


Abhishek Jain

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?   अमृत माँ जिनवाणी से - २४९   ?


         "शिखरजी बिहार की विज्ञप्ति"


            सम्पूर्ण बातों का विचार कर ही पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने शिखरजी की ओर संघ के साथ विहार की स्वीकृति दी थी। यह समाचार कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा वीर संवत २४५३, सन १९२७ के दिन विज्ञप्ति रूप इन शब्दों में प्रकाश में आया:


  ?संघ विहार (शिखरजी की यात्रा)?


         "सम्पूर्ण दिगम्बर जैन समाज को सुनाते हुए आनंद होता है कि हम कार्तिक के आष्टनिहका पर्व के समाप्त होते ही मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका समवेत चतुर्विध संघ को चलाने वाले हैं। यह संघ कुम्भोज (बाहुबली पहाड़) कोल्हापुर दक्षिण की तरफ से निकलेगा और शिखरजी की यात्रार्थ प्रयाण करेगा।

             श्री रत्नत्रय पूत परमशांत दसलाक्षणिक धर्म विभूषित १०८ श्री आचार्य शान्तिसागर महराज मुनि संध सहित विहार करेंगे। इस संघ में तीन चार मुनि, तीन ऐलक व एक क्षुल्लक व करीब पाँच, छह ब्रम्हचारी तथा दो तीन आर्यिकाओं ने विहार करना निश्चय कर लिया है। इसके सिवाय और भी कुछ मुनि ब्रम्हचारी ऐलकों के इस मुनिसंघ के साथ में निकलने का अंदाज है।

         चतुर्थकाल के मुनीश्वरों का जैसा कुछ स्वरूप था ठीक वैसा ही स्वरूप परमशांत आचार्यश्री १०८ शान्तिसागर महराज का है। आज पर्यन्त यह दक्षिण में ही विहार करता था, परंतु भव्यों के पुण्योदय से अब आगे इनका विहार उत्तर भारत में होगा। इस कारण सर्व ही समाज को लाभ होगा। "


शिखरजी विहार की विज्ञप्ति क्रमशः.........


? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?

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