ज्ञान ही मोक्ष का साधन है
आचार्य योगिन्दु कहते है कि ज्ञान से ही मोक्ष अर्थात शाश्वत शान्ति की प्राप्ति संभव है। सम्यक्ज्ञान ही सम्यग्दर्शन व सम्यक्चारित्र के बीच का सेतु है। सम्यक् ज्ञान के अभाव में न सम्यक् दर्शन की प्राप्ति संभव है और ना ही सम्यक चारित्र होना संभव है। इन तीनों के समन्वित होने से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। अतः ज्ञान ही प्रकारान्तर से मोक्ष का साधन सिद्ध होता है। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा-
73. देउ णिरंजणु इउँ भणइ णाणिं मुक्खु ण भंति।
णाण-विहीणा जीवडा चिरु संसारु भमंति।।
अर्थ - निरंजन देव यह कहते हैं कि ज्ञान से मोक्ष है, (इसमें) सन्देह नहीं (है)। ज्ञान से
रहित जीव दीर्घ काल तक संसार में भ्रमण करते हैं।
शब्दार्थ - देउ - देव, णिरंजणु -निरंजन, इउँ -यह, भणइ-कहते हैं, णाणिं-ज्ञान से, मुक्खु -मोक्ष, ण-नहीं, भंति-संदेह, णाण-विहीणा-ज्ञान से रहित, जीवडा-जीव, चिरु -दीर्घकाल तक, संसारु-संसार में, भमंति-भ्रमण करते हैं।
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