?परिवार व नाम संस्कार - अमृत माँ जिनवाणी से - १६८
☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,
आज हम जानते हैं चारित्र चक्रवर्ती पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी महराज के गृहस्थ जीवन का नाम तथा उनके भाई बहनों के नाम आदि।
? अमृत माँ जिनवाणी से - १६८ ?
"परिवार व् नाम संस्कार"
पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज के गृहस्थ जीवन में दो ज्येष्ठ भ्राता थे, जिनके नाम आदिगोंडा और देवगोंडा थे। कुमगौड़ा नाम के अनुज थे। बहिन का नाम कृष्णा बाई था।
इनके शांत भाव के अनुरूप उन्हें "सातगौड़ा" कहते थे। वर्तमान में भी उनका नाम उनकी शांत प्रकृति के अनुरूप शान्तिसागर ही है।
गौड़ा शब्द भूमिपति-पाटिल का द्योतक है।
पूज्यश्री अपने परिवार में तृतीय पुत्र थे। इसी से मानव प्रकृति ने इन्हें रत्नत्रय और तृतीय रत्न सम्यकचारित्र का अनुपम आराधक बनाया।
?राजवंश?
इनकी वंश परम्परा का उस प्रान्त में बड़ा प्रभाव रहा है। यथार्थ में इनके पूर्वज राजा सदृश थे। पहले इनके पूर्वज श्री पद्मगौड़ा देसाई बीजापुर जिले में शालबिद्री स्थल के अधिपति थे। ब्रिटिश शासनकाल में भी अन्य नरेशों के समान इनके पूर्वजों की बात का बड़ा सम्मान किया जाता था।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का ?
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