Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
  • entries
    335
  • comments
    11
  • views
    30,971

?मधुर व्यवहार - अमृत माँ जिनवाणी से - २०९


Abhishek Jain

304 views

?   अमृत माँ जिनवाणी से - २०९   ?


                  "मधुर व्यवहार"


           एक बार पूज्य शान्तिसागरजी महराज अहमदनगर (महाराष्ट्र प्रांत) के पास से निकले। वहाँ कुछ श्वेताम्बर भाइयों के साथ एक श्वेताम्बर साधु भी थे। वे जानते थे कि महराज दिगम्बर जैन धर्म के पक्के श्रद्धानी हैं। वे हम लोगों को मिथ्यात्वी कहे बिना नहीं रहेंगे, कारण की नेमीचंद सिद्धांत चक्रवर्ती ने हमें संशय मिथ्यात्वी कहा है।

          उस समय श्वेताम्बर साधु ने मन में अशुद्ध भावना रखकर प्रश्न किया, "महराज आप हमको क्या समझते हैं?" उस समय महराज महराज ने कहा, "हम तुम्हे अपना छोटा भाई समझते हैं।" 

          इस मधुर रसपूर्ण उत्तर से उन्होंने अपने को कृतार्थ अनुभव किया। महराज ने कहा, "पहले हममें और तुममे अंतर नहीं था, पश्चात कारण विशेष से पृथकपना हो गया, अतः तुम भाई ही हो।"

         वाणी का संयम महराज में अद्भुत था। जब वे बोलते थे, तब श्रोताओं की इच्छा यही होती थी कि इनके मुख से अमृतवाणी का प्रवाह बहता ही जावे और कर्ण पात्र के द्वारा पीते चले जाएँ।


? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Guest
Add a comment...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...