?सत्य की आदत - अमृत माँ जिनवाणी से - २०६
? अमृत माँ जिनवाणी से - २०६ ?
"सत्य की आदत"
पूज्य शान्तिसागरजी महराज ने कहा, "बचपन से ही हमारी सत्य का पक्ष लेने की आदत रही है। हमने कभी भी असत्य का पक्ष नहीं लिया। अब तो हम महाव्रती मुनि हैं।
हम अपने भाइयों अथवा कुटुम्बियों का पक्ष लेकर बात नहीं करते थे। सदा न्याय का पक्ष लेते थे, चाहे उसमे हानि हो। इस कारण जब भी लेन देन में वस्तुओं के भाव आदि में झगड़ा पड़ जाता था, तब लोग हमारे कहे अनुसार काम करते थे।
रुद्रप्पा हमारे पास आया करता था। हमारी धर्म की चर्चा होती थी। हम कभी लौकिक चर्चा या विचार नहीं करते थे।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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