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?सप्त तत्व निरूपण का रहस्य - अमृत माँ जिनवाणी से - १३३


Abhishek Jain

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☀सात तत्वों की थोड़ी भी जानकारी रखने वाले श्रावक इस प्रसंग को पढ़कर बहुत ही आनंद का अनुभव करेंगे।

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १३३    ?


          "सप्ततत्व निरूपण का रहस्य"


          एक बार आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज से प्रश्न पूंछा गया- "भेद विज्ञान हो तो सम्यक्त्व है; अतः आत्मतत्व का विवेचन करना आचार्यों का कर्तव्य था, परंतु अजीव, आश्रव बन्धादि का विवेचन क्यों किया जाता है?

         उत्तर- "रेत की राशि में किसी का मोती गिर गया। वह रेत के प्रत्येक कण को देखते फिरता है। समस्त बालुका का शोधन उसके लिए आवश्यक है; इसी प्रकार आत्मा का सम्यक्त्व रूप रत्न खो गया है। उसके अन्वेषण के लिए, अजीव, आश्रव, बन्धादि का परिज्ञान आवश्यक है। इस कारण सप्ततत्व का निरूपण सम्यक्तवी के लिए हितकारी है।" आत्मा की प्राप्ति होने के बाद उसे अपने स्वरूप में रहना है, फिर बाहर भटकना प्रयोजन रहित है।


?  स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का  ?

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