शक्ति की परीक्षा - अमृत माँ जिनवाणी से - ७७
? अमृत माँ जिनवाणी से - ७७ ?
"शक्ति की परीक्षा"
आचार्य शान्तिसागरजी महाराज के गृहस्थ जीवन के बड़े भाई पूज्य वर्धमानसागरजी महाराज ने उनके पूर्व समय का एक प्रसंग बताया-
"एक बढ़ई ने भोज में आकर शक्ति परीक्षण हेतु एक लंबा खूंटा गाड़ा था। वह गाँव में किसी से ना उखड़ा, उसे नागपंचमी के दिन महाराज ने जरा ही देर में उखाड़ दिया था और चुप चाप घर आ गए थे।
जब खूंटा उन्होंने उखाड़ा तब मैंने कहा था- "ऐसा काम नहीं करना। चोट आ गई तो?"
जनता द्वारा सम्मानार्थ निकाले जलूस में वे नहीं गए थे, कारण कि उन्हें कीर्ति नहीं चाहिए थी। वे जन्मजात विरक्त महापुरुष थे। उनका मेरे प्रति प्रेम था। कुंमगोड़ा(छोटा भाई) पर भी प्रेम था।
? स्वाध्याय चरित्र चक्रवर्ती ग्रन्थ का
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