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सतगौड़ा के पिता - अमृत माँ जिनवाणी से - ३४


Abhishek Jain

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?    अमृत माँ जिनवाणी का - ३४     ?


               "सतगौड़ा के पिता"


      आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने गृहस्थ जीवन मे जो उनके पिता थे उनके बारे में बताया था।कि उनके पिता प्रभावशाली, बलवान, रूपवान, प्रतिभाशाली, ऊंचे पूरे थे। वे शिवाजी महाराज सरीखे दिखते थे।

       उन्होंने १६ वर्ष पर्यन्त दिन मे एक बार ही भोजन पानी लेने के नियम का निर्वाह किया था, १६ वर्ष पर्यन्त ब्रम्हचर्य व्रत रखा था। उन जैसा धर्माराधना पूर्वक सावधानी सहित समाधिमरण मुनियो के लिए भी कठिन है।

     एक दिन पिताजी ने हमसे कहा, "उपाध्याय को बुलाओ, उसे दान देकर अब हम यम समाधि लेना चाहते हैं।"

     हमने पूंछा, "आप मर्यादित काल वाली नियम समाधि क्यो नही लेते ?"

     पिताजी ने उत्तर दिया, "हमे अधिक समय तक नही रहना है, इसीलिए हम यम समाधि लेते हैं।"

      उस समय हम लोगो ने उनको धर्म की बात सुनाने का कार्य लगातार किया, दिन के समान सारी रात भी धर्माराधना का क्रम चलता रहा। प्रातः काल मे पिताजी के प्राण सूर्य उदय के पूर्व ही पंच परमेष्ठी का नाम स्मरण करते करते निकल गए।

     उस समय वे ६५ वर्ष के थे । अपनी माता के विषय मे आचार्यश्री ने बताया था कि हमारी माता का समाधिमरण १२ घंटे मे हो गया था। 

           ऐसे धार्मिक परिवार में ऐसे विश्व दीपक, अनुपम नररत्न का जन्म, संवर्धन तथा पोषण हुआ था।


?  स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का  ?

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