येलगुल में जन्म - अमृत माँ जिनवाणी से - १५
? अमृत जिनवाणी से -१५ ?
"येलगुल मे जन्म"
जैन संस्कृति के विकास तथा उन्नति के इतिहास पर दृष्टि डालने पर यह ज्ञात होता है कि विश्व को मोह अंधकार से दूर करने वाले तीर्थंकरो ने अपने जन्म द्वारा उत्तर भारत को पवित्र किया तथा निर्वाण द्वारा उसे ही तीर्थस्थल बनाया, किन्तु उनकी धर्ममयी देशना रूप अमृत को पीकर, वीतरागता के रस से भरे शास्त्रो का निर्माण करने वाले धुरंधर आचार्यो ने अपने जन्म से दक्षिण भारत की भूमि को श्रुत तीर्थ बनाया।
उसी ज्ञानधारा से पुनीत दक्षिण भारत के बेलगाँव जिले को नररत्न आचार्य शान्तिसागर महाराज की जन्मभूमि बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
भोजग्राम के समीप लगभग चार मील की दूरी पर विद्यमान ग्राम येलगुल में आषाढ़ कृष्णा ६ , विक्रम संवत १९२९, सन् १८७२ मे बुधवार की रात्रि को उनका जन्म हुआ था।
वह ग्राम भोजग्राम के अंतर्गत तथा समीप में था, इससे भोजभूमि ही जन्म स्थान है, ऐसी सर्वत प्रसिद्धि हुई।
? स्वाध्याय चारित्रचक्रवर्ती ग्रंथ का ?
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.