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आत्मा का ध्यान ही मोक्ष प्राप्ति का सही मार्ग है


Sneh Jain

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आचार्य योगीन्दु पुनः इसी बात को दृढता के साथ कहते हैं कि रत्नत्रययुक्त आचरण के साथ आत्मा का ध्यान करनेवाले ज्ञानी निश्चय से मुक्ति को प्राप्त होते हैं। देखिये इससे सम्बन्धित दोहा -

33.   अप्पा गुणमउ णिम्मलउ अणुदिणु जे झायंति।

      ते पर णियमे परम-मुणि लहु णिव्वाण लहंति।।

अर्थ - जो प्रतिदिन विशुद्ध और गुणमय आत्मा का प्रतिदिन ध्यान करते हैं, मात्र वे (ही)  श्रेष्ठ मुनि निश्चय से शीघ्र मुक्ति को प्राप्त करते हैं।

शब्दार्थ - अप्पा- आत्मा का, गुणमउ-गुणमय, णिम्मलउ-विशुद्ध,  अणुदिणु-प्रतिदिन, जे -जो, झायंति-ध्यान करते हैं, ते-वे, पर-मात्र, णियमे -निश्चय से, परम-मुणि-श्रेष्ठ मुनि, लहु-शीघ्र, णिव्वाण -मुक्ति को, लहंति-प्राप्त करते हैं।

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