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?दीवान श्री लट्टे की कार्यकुशलता - अमृत माँ जिनवाणी से - १५०

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १५०    ?        "दीवान श्री लट्ठे की कार्यकुशलता"       पिछले दो प्रसंगों से जोड़कर यह आगे पढ़ें। पूज्य शान्तिसागरजी महाराज के चरणों को प्रणाम कर लट्ठे साहब महराज कोल्हापुर के महल में पहुँचे। महराज साहब उस समय विश्राम कर रहे थे, फिर भी दीवान का आगमन सुनते ही बाहर आ गए।        दीवान साहब ने कहा, "गुरु महराज बाल-विवाह प्रतिबंधक कानून बनाने को कह रहे हैं। राजा ने कहा, तुम कानून बनाओं मै उस पर सही कर दूँगा।" तुरंत लट्ठे ने कानून का मसौदा तैयार किया। कोल्

Abhishek Jain

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?बाल विवाह प्रतिबंधक कानून - अमृत माँ जिनवाणी से - १४९

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४९    ?         "बाल विवाह प्रतिबंधक कानून"       कल के प्रसंग में हमने पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा से  कोल्हापुर राज्य लागू  बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के बारे में चर्चा प्रारम्भ की थी।        एक बार कोल्हापुर के शहुपुरी के मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा हो रही थी। वहाँ पूज्य शान्तिसागरजी महाराज विराजमान थे। दीवान बहादुर श्री लट्ठे प्रतिदिन सायंकाल के समय महाराज के दर्शनार्थ आया करते थे। एक दिन लट्ठे महाशय ने आकर आचार्यश्

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?बाल विवाह प्रतिबंधक कानून के प्रेरक - अमृत माँ जिनवाणी से - १४८

☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,     आज के प्रसंग से आपको सामाजिक कुरीति के प्रतिबन्ध की ऐसी नई बात पता चलेगी जो पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज के पावन आशीर्वाद से महाराष्ट्र प्रान्त कानून के रूप में लागू हुई।           मुझे भी यह प्रसंग आप तक पहुचाते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि भारत में सर्वप्रथम बाल-विवाह प्रतिबंधक कानून आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज की प्रेरणा से महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर प्रान्त में बना। ?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४८    ?   "बाल विवाह प्रतिबंधक का

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?कथा द्वारा शिक्षा - अमृत माँ जिनवाणी से - १४७

☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,          प्रस्तुत प्रसंग में पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी द्वारा, जीवन में अधिक विनोद के परिणाम को बताने के लिए कथानक बताया है।    यह प्रसंग हम सभी गृहस्थों के जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। ?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४७    ?                "कथा द्वारा शिक्षा"              पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने बड़वानी की तरफ विहार किया था। संघ के साथ में तीन धनिक गुरुभक्त तरुण भी थे। वे बहुत विनोदशील थे। उनका हासपरिहास का कार्यक्रम सदा चलता था

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?सुख का रहस्य - अमृत माँ जिनवाणी से - १४६

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४६    ?                    "सुख का रहस्य"              एक व्यक्ति ने पूज्य शान्तिसागरजी महाराज के समक्ष प्रश्न किया- "महाराज ! आपके बराबर कोई दुखी नहीं है। कारण आपके पास सुख के सभी साधनों का अभाव है।"        महराज ने कहा, "वास्तव में जो पराधीन है वह दुखी हैं। जो स्वाधीन हैं वह सुखी है। इंद्रियों का दास दुखी है।            हम इंद्रियों के दास नहीं हैं। हमारे सुख की तुम क्या कल्पना कर सकते हो? इंद्रियों से उत्पन्न सुख मिथ्या है। आत्मा के अनुभव

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?गृहस्थ जीवन पर चर्चा - अमृत माँ जिनवाणी से - १४५

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४५    ?              "गृहस्थ जीवन पर चर्चा"          अपने विषय में पूज्य शान्तिसागरजी महाराज ने कहा- "हम अपनी दुकान में ५ वर्ष बैठे। हम तो घर के स्वामी के बदले में बाहरी आदमी की तरह रहते थे।"              ?उदास परिणाम?          उनके ये शब्द बड़े अलौकिक हैं- "जीवन में हमारे कभी भी आर्तध्यान, रौद्रध्यान नहीं हुए। घर में रहते हुए हम सदा उदास भाव में रहते थे। हानि-लाभ, इष्ट-वियोग, अनिष्ट-संयोग आदि के प्रसंग आने पर भी हमारे परिणामों में कभी भ

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?निमित्त कारण का महत्व - अमृत माँ जिनवाणी से - १४४

☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,          प्रस्तुत प्रसंग से पूज्यश्री के कथन से जीवन में निमित्त का महत्व बहुत आसानी से समझ में आता है। ?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४४    ?           "निमित्त कारण का महत्व"             पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने कहा था- "निमित्त कारण भी बलवान है। सूर्य का प्रकाश मोक्ष मार्ग में निमित्त है। यदि सूर्य का प्रकाश न हो तो मोक्षमार्ग ही न रहे। प्रकाश के अभाव में मुनियों का विहार-आहार आदि कैसे होंगे?"           उन्होंने कहा- "कुम्भकार के

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?महराज का अनुभव - अमृत माँ जिनवाणी से - १४३

☀जय जिनेन्द्र बंधुओं,                प्रस्तुत प्रसंग उपवास के सम्बन्ध में श्रेष्टचर्या के धारक परम तपस्वी महान आचार्य निग्रंथराज पूज्य शान्तिसागरजी महाराज के श्रेष्ठ अनुभव को व्यक्त करता है।            इस प्रसंग को पढ़कर, निरंतर अपने कल्याण की भावना से उपवास करने वाले श्रावकों को अत्यंत हर्ष होगा एवं रूचि पूर्वक पढ़ने वाले अन्य सभी श्रावकों के लिए उपवास के महत्व को समझने के साथ आत्मकल्याण हेतु दिशा प्राप्त होगी। ?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४३    ?                "महाराज का अ

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समाधि मरण धर्म हमारा !

नीलगगन में एक सितारा, समाधि मरण धर्म हमारा ! महावीर की प्यारी वाणी, समधि मरण करे हर प्राणी ! उपवास हमारा नाश्ता है, समाधि मरण में आस्था है ! समाधि मरण की हे अभिलाषा, न्याय मिले बस हे एक आशा ! अंतिम चरण समाधि मरण, मोक्षधाम को मिले शरण ! समाधिमरण प्यारा है, ऋषि-मुनियोँ का नारा है !

Saurabh Jain

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सल्लेखना क्या है? मुनिश्री १०८ प्रमाणसागर जी महाराज

सल्लेखना क्या है?-- जैन साधना का प्राण है सल्लेखना  मुनिश्री १०८ प्रमाणसागर जी महाराज  सल्लेखना जैन साधना का प्राण है. सल्लेखना के अभाव में जैन साधक की साधना सफल नहीं हो पाती. जिस प्रकार वर्षभर पढ़ाई करने वाला विद्यार्थी यदि ठीक परीक्षा के समय विद्यालय न जाये तो उसकी वर्षभर की पढ़ाई निरर्थक हो जाती है, उसी तरह पूरे जीवनभर साधना करने वाला साधक यदि अंत समय में सल्लेखना /संथारा धारण न कर सके तो उसकी साधना निष्फल हो जाती है. सल्लेखना का फल बताते हुए जैन शास्त्रों में लिखा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति

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?शासन का दोष - अमृत माँ जिनवाणी से - १४२

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४२    ?                  "शासन का दोष"      वर्तमान देश के अनैतिक वार्तावरण पर चर्चा चलने पर पूज्य शान्तिसागरजी महाराज ने कहा था, "इस भ्रष्टाचार में मुख्य दोष प्रजा का नहीं है, शासन सत्ता का है।          गाँधीजी ने मनुष्य पर दया के द्वारा लोक में यश और सफलता प्राप्त की और जगत को चकित कर दिया। इससे तो धर्म गुण दिखाई देता है। यह दया यदि जीवमात्र पर हो जाये तो उसका मधुर फल अमर्यादित हो जायेगा।          आज तो सरकार जीवों के घात में लग रही है यह अ

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?दीनो के हितार्थ विचार - अमृत माँ जिनवाणी से - १४१

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४१    ?               "दीनों के हितार्थ विचार"                कुंथलगिरी में पर्युषण पर्व में पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज ने गरीबों के हितार्थ कहा था- "सरकार को प्रत्येक गरीब को जिसकी वार्षिक आमदनी १२० रूपये हो, पाँच एकड़ जमीन देनी चाहिए और उसे जीववध तथा मांस का सेवन न करने का नियम कराना चाहिए। इस उपाय से छोटे लोगों का उद्धार होगा।"        महराज के ये शब्द बड़े मूल्यवान हैं- "शूद्रों के साथ जीमने से उद्धार नहीं होता। उनको पाप से ऊपर उठाने से

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धर्म बचाओ आंदोलन की जानकारी - Important points for 24th August

निम्न बिन्दुओं पर समस्त समाज ध्यान दें- 1. 24 अगस्त को सकल जैन समाज अपने आॅफिस/प्रतिष्ठान/स्कूल व काॅलेज की छृट्टी/बंद रखे। 2. 24 अगस्त को माननीय प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार के नाम का ज्ञापन सौपेंगे। 3. 24 अगस्त को समाज का प्रत्येक व्यक्ति महिला, पुरूष, बच्चे सभी एकसाथ प्रदर्शन जुलूस में सम्मिलित होंगे। 4. 24 अगस्त को बन्द करने के लिए व्यापारी वर्ग, राजनेताओं और विभिन्न संगठनों से अपील करेंगे कि वह जैन धर्म के विपत्ति के समय उनका सहयोग करें एवं बद में साथ दें।

Saurabh Jain

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?वृद्धा की समाधि - अमृत माँ जिनवाणी से - १४०

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १४०    ?                  "वृद्धा की समाधि"               कुंथलगिरी में सन् १९५३ के चातुर्मास में लोणंद के करीब ६० वर्ष वाली बाई ने १६ उपवास किए थे, किन्तु १५ वे दिन प्रभात में विशुद्ध धर्म-ध्यानपूर्वक उनका शरीरांत हो गया।           उस वृद्धा के उपवास के बारे में एक बात ज्ञातव्य है। उसने पूज्य शान्तिसागरजी महाराज से १६ उपवास माँगे तब महराज ने कहा- "बाई ! तुम्हारी वृद्धावस्था है। ये उपवास नहीं बनेंगे। उसने आग्रह किया और कहा, महाराज ! मै प्राण दे दूँग

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?दयापूर्ण दृष्टि - अमृत माँ जिनवाणी से - १३९

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १३९    ?                        "दयापूर्ण दॄष्टि"                 लोग पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज को आहार देने में गड़बड़ी किया करते थे, इस विषय में मैंने(लेखक ने) श्रावकों को समझाया कि जिस घर में महराज पड़गाहे जाए, वहाँ दूसरों को अनुज्ञा के नहीं जाना चाहिए, अन्यथा गड़बड़ी द्वारा दोष का संचय होता है। मै लोगों को समझा रहा था, उस प्रसंग पर आचार्यश्री की मार्मिक बात कही थी।          महाराज बोले- "यदि हम गडबड़ी को बंद करना चाहें, तो एक दिन में सब ठीक

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?निर्वाण भूमि का प्रभाव - अमृत माँ जिनवाणी से - १३८

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १३८    ?             "निर्वाण-भूमि का प्रभाव" प्रश्न - "महाराज ! पाँच-२ उपवास करने से तो शरीर को कष्ट होता होगा?" उत्तर- "हमें यहाँ पाँच उपवास एक उपवास सरीखे लगते हैं। यह निर्वाण भूमि का प्रभाव है। निर्वाण-भूमि में तपस्या का कष्ट नहीं होता है। हम तो शक्ति देखकर ही तप करते हैं।"                ?मौन से लाभ? प्रश्न- "महाराज ! मौन व्रत से आपको क्या लाभ पहुँचता है?" उत्तर- "मौन करने से संसार से आधा सम्बन्ध छूट जाता है। सैकड़ों लोगों

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⚫ धर्म बचाओ आंदोलन ⚫ 24 अगस्त, सोमवार

⁠⁠⁠⚫ धर्म बचाओ आंदोलन ⚫         24 अगस्त, सोमवार ************************** सभी स्थानों पर मीटिंग का दौर शुरू हुआ । प्रायः सभी स्थानों पर निम्नांकित बिंदुओं पर विचार किया गया है~ 1 २४ अगस्त को सकल जैन समाज अपने ऑफिस, प्रतिष्ठान, स्कूल, कॉलेज की छुट्टी/ बन्द रखेंगे। 2 २४ अगस्त को माननीय प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कलेक्टर, SDM, तहसीलदार के नाम का विरोध रूपी ज्ञापन सौपेंगे। 3 २४ अगस्त को समाज का प्रत्येक व्यक्ति महिला पुरुष बच्चे सभी एक साथ विरोध प्रदर्शन जुलूस मे सम्मलित होंगे। 4 २४ अगस

admin

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?कुंथलगिरी पर्युषण - अमृत माँ जिनवाणी से - १३७

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १३७    ?                "कुंथलगिरी पर्यूषण"               कुंथलगिरी में पूज्य आचार्य शान्तिसागर महाराज के चातुर्मास में पर्यूषण पर्व पर तारीख १२ सितम्बर सन् १९५३ से तारीख २६ सितम्बर सन् १९५३ तक रहने का पुण्य सौभाग्य मिला था। उस समय आचार्यश्री ने ८३ वर्ष की वय में पंचोपवास् मौन पूर्वक किए थे। इसके पूर्व भी दो बार पंचोपवास् हुए थे। करीब १८ दिन तक उनका मौन रहा था। भाद्रपद के माह भर दूध का भी त्याग था। पंचरस तो छोड़े चालीस वर्ष हो गए।                

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?सुंदर प्रायश्चित - अमृत माँ जिनवाणी से - १३६

?    अमृत माँ जिनवाणी से - १३६    ?                   "सुन्दर प्राश्चित"             पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज का अनुभव और तत्व को देखने की दृष्टि निराली थी।            एक बार महाराज बारामती में थे। वहाँ एक संपन्न महिला की बहुमूल्य नाथ खो गई। वह हजारों रूपये की थी। इससे बडो-२ पर शक हो रहा था। अंत में खोजने के बाद उसी महिला के पास वह आभूषण मिल गया।          वह बात जब महाराज को ज्ञात हुई, तब महाराज ने उस महिला से कहा- "तुम्हे प्रायश्चित लेना चाहिए। तुमने दूसरों

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